प्रकृति के बीच सुंदर वादियों और एडवेंचर का पर्यटक उठा रहे आनंद
जशपुर, जशपुर जम्बुरी के दूसरे दिन सुबह सूरज उगने से पहले ही 120 पर्यटकों ने अपना सफर नीमगाँव से शुरू किया जहाँ प्रतिभागी शांत और मनमोहक पक्षी-दर्शन सत्र में शामिल हुए। सुनहरी धुंध से ढकी वादियों में जब पक्षियों की चहचहाहट गूंजी, तो पूरा जंगल जीवन से भर उठा। यह एक सुकूनभरी शुरुआत थी, जिसने सभी को जशपुर की शांत और प्राकृतिक लय से जोड़ दिया।
नाश्ते के बाद प्रतिभागियों को दिनभर की रोमांचक यात्राओं के लिए दो समूहों में बाँटा गया।
पहला समूह रवाना हुआ मयाली की ओर, जो पवित्र मधेेश्वर पर्वत की तलहटी में बसा है — जो प्राकृतिक रूप से शिवलिंग का सबसे विशाल स्वरूप है। इस आध्यात्मिक वातावरण में दिनभर का रोमांच और भी खास बन गया। मयाली के नीले पानी में प्रतिभागियों ने कयाकिंग, एक्वा साइक्लिंग, एटीवी राइड्स और जोशीले पेंटबॉल गेम जैसे कई साहसिक खेलों का आनंद लिया। आसमान में उड़ते पैरामोटर और हॉट एयर बलून से मधेेश्वर पर्वत और हरे-भरे जंगलों का विहंगम दृश्य सभी को मंत्रमुग्ध कर गया। रोमांच के बाद, स्थानीय व्यंजनों से सजे दोपहर के भोजन ने सबके दिन को और भी स्वादिष्ट बना दिया।
वहीं, दूसरा समूह देश देखा में रहा, जहाँ दिनभर के लिए खुला आसमान और पथरीला भूभाग रोमांच का नया अध्याय लिख रहा था। प्रतिभागियों ने यहाँ बोल्डरिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, जुमारिंग और ज़िपलाइनिंग जैसी गतिविधियों में भाग लिया। हर चुनौती के साथ जोश, हौसला और टीम भावना की गूंज चारों ओर सुनाई दे रही थी। दोपहर के भोजन के बाद यह समूह , सारूडीह चाय बगान,रानीदाह और जशपुर संग्रहालय की सैर पर निकला, जहाँ उन्होंने जशपुर की कला, इतिहास और प्राकृतिक धरोहर को करीब से जाना।
शाम होते-होते यह समूह पहुँचा सरना एथनिक रिज़ॉर्ट, जहाँ रात की रौनक बढ़ी एक सुंदर आदिवासी सांस्कृतिक कार्यक्रम से। जशपुर की महिला स्वसहायता समूहों (SHG) ने अपने पारंपरिक नृत्य और लोकगीतों से सबका मन मोह लिया। उनके रंगीन परिधान, ताल और ऊर्जा ने जशपुर की असली आत्मा को मंच पर जीवंत कर दिया।
कार्यक्रम समाप्त होने के बाद दोनों समूह फिर से देश देखा में एकजुट हुए। सितारों से भरे आसमान के नीचे जलती कैम्पफायर की गर्माहट ने सबको एक साथ ला दिया। हंसी-मज़ाक, अनुभवों की बातें और शांत तारामंडल दर्शन ने इस रोमांचक दिन का समापन बेहद खूबसूरती से किया।
