रायपुर। वैश्विक बाज़ारों में लगातार बढ़ रही अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनावों के बीच, भारतीय निवेशकों का रुख अब तेज़ मुनाफे के बजाय दीर्घकालिक और स्थिर निवेश की ओर मुड़ता दिख रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय घबराहट में फैसले लेने के बजाय शांत रहते हुए अपने निवेश लक्ष्यों पर ध्यान देना सबसे समझदारी भरा कदम है।
गणेश मोहन मैनेजिंग डायरेक्टर, बजाज फिनसर्व एएमसी ने बताया है सर इस दिशा में पहला बड़ा कदम होता है मजबूत बुनियादी ढांचे वाली कंपनियों में निवेश करना, और इसके लिए लार्ज-कैप इक्विटी फंड सबसे उपयुक्त विकल्प माने जा रहे हैं। ये फंड बाज़ार की चुनौतियों को झेल पाने में सक्षम, भरोसेमंद कंपनियों पर फोकस करते हैं। इनकी स्थिरता अस्थिर बाज़ार में सुरक्षा की भावना देती है। इसके साथ ही, पोर्टफोलियो का संतुलन बनाए रखने के लिए विविधता (diversification) आवश्यक हो जाती है। जब एक ही पोर्टफोलियो में इक्विटी, डेब्ट और हाइब्रिड फंड शामिल होते हैं, तो समग्र जोखिम में कमी आती है और रिटर्न में स्थिरता बनी रहती है। डायनामिक एसेट एलोकेशन और मल्टी-एसेट फंड जैसे विकल्प ऐसे समय में और भी मूल्यवान हो जाते हैं क्योंकि ये बाजार की स्थिति के अनुसार अपना एसेट अलोकेशन खुद एडजस्ट कर लेते हैं।
स्मॉल-कैप फंड उन निवेशकों के लिए एक रोमांचक अवसर प्रस्तुत करते हैं जो दीर्घकालिक निवेश के साथ उच्च रिटर्न की संभावना तलाश रहे हैं। यह क्षेत्र तेजी से उभरती हुई कंपनियों में शुरुआती स्तर पर निवेश का मौका देता है, जिससे भविष्य में बड़ा मूल्यवृद्धि लाभ मिल सकता है। 2020 के बाद कई स्मॉल-कैप IPOs ने मजबूत प्रदर्शन किया है, जिससे निवेशकों का विश्वास इस वर्ग में बढ़ा है। हालांकि, यह ज़रूरी है कि निवेश से पहले कंपनी की गुणवत्ता, व्यापार मॉडल और दीर्घकालिक संभावनाओं का विश्लेषण किया जाए, ताकि जोखिम को समझदारी से प्रबंधित किया जा सके। सही दृष्टिकोण और अनुशासित रणनीति के साथ, स्मॉल-कैप फंड पोर्टफोलियो में वृद्धि का एक शक्तिशाली इंजन बन सकते हैं।
इस पूरी रणनीति की रीढ़ बनता है अनुशासन, जिसे सबसे बेहतर ढंग से SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के ज़रिए अपनाया जा सकता है। SIP निवेशकों को बाज़ार के उतार-चढ़ाव के बावजूद नियमित निवेश की आदत डालता है और लागत को औसत करता है।
हर निवेशक की वित्तीय ज़रूरतें अलग होती हैं। अल्पकालिक लक्ष्यों के लिए लिक्विड या शॉर्ट-ड्यूरेशन डेब्ट फंड उपयुक्त हैं, वहीं लंबी अवधि के लिए लार्ज-कैप, फ्लेक्सी-कैप या ELSS जैसे फंड बेहतर विकल्प हैं। सेवानिवृत्ति या बच्चों की शिक्षा जैसे लक्ष्यों के लिए टार्गेट फंड एक ठोस योजना प्रदान करते हैं।