गरियाबंद। राजधानी के महिला आयोग में मंगलवार को महिला प्रताड़ना से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई हुई। इस दौरान गरियाबंद निवासी एक महिला ने आयोग को बताया कि उसका पति उसे अपनी पत्नी कहने और अपने बच्चे का पिता कहने से इंकार कर रहा है। प्रकरण की सुनवाई के दौरान आयोग अध्यक्ष ने कलेक्टर के नाम एक पत्र लिखा, जिसमें तीनों का डीएनए टेस्ट कराकर दो माह में आयोग को रिपोर्ट भेजने कहा गया है। इस दौरान जिले के पुलिस अधिकारियों को भी इसकी निगरानी करने कहा गया है। सुनवाई में आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया व ओजस्वी मंडावी उपस्थित रहे।
इसी तरह एक प्रकरण में महिला ने बताया कि उसने अपने पति के साथ आपसी राजीनामा से तलाक लिया, लेकिन वह उसे भरण-पोषण नहीं दे रहा है। महिला को भरण पोषण न देना पड़े, इसलिए पूर्व पति ने खुद को बेरोजगार बता रहा था। सुनवाई के दौरान आयोग ने उसके पति को समझाइश दी।
तब उसके पूर्व पति ने हर माह 10 तारीख तक महिला को 2 हजार देने पर राजी हुआ। यह राशि वह तब तक देगा जब तक महिला दूसरी शादी नहीं कर लेती। यदि महिला कभी शादी नहीं करेगी तो महिला को वह जीवनभर राशि देगा। उसकी स्थिति बदलने पर राशि में बदलाव भी हो सकता है। आयोग इसकी निगरानी करेगा।
गुढ़ियारी की महिला ने आयोग को बताया कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है। उसके 2 बच्चे हैं। गुढ़ियारी में एक मकान में वह दोनों बच्चों व सास-ससुर के साथ ही रहती थी, लेकिन अब किराए में रह रही है। गुढ़ियारी के मकान से किराए के रूप में 12 से 15 हजार की आय होती है। उसे सास रखती है। सोनडोंगरी में भी उसके पति के नाम से एक घर है, उसका किराया भी 2 हजार रुपए वही रखती है। पति की मृत्यु के बाद जो 4 लाख रुपए मिले थे, वह भी सास ने ही रख लिया है। सुनवाई के दौरान आयोग ने महिला की सास को कहा कि सभी एक साथ एक ही घर में रहें। किराए में से 6 हजार रु. बहू को दें। 4 लाख में से 2 लाख बच्चों के नाम से फिक्स डिपॉजिट कराने कहा गया है, ताकि उसके बच्चों की पढ़ाई का खर्च वहन हो सके।