नन्हीं बच्ची ने तुतलाते हुए सीएम भूपेश से की बात

शरण्या से पूछे सवाल, जवाब में कहा-कका माथा दुखथे, सुनते ही हंस पड़े मुख्यमंत्री-
रायपुर। गुरतुर छत्तीसगढ़ी बोली ही ऐसी है जिसे सुनकर हर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। यदि यही छत्तीसगढ़ी बोली किसी मासूम बच्ची की तोतली जुबान में सुनाई दे तो कितनी आत्मीय खुशी होती है, इस बात का ताजा उदाहरण कल देखने को मिला। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। यहां उनकी मुलाकात बेबी शरण्या से हुई। अंग्रेजी माध्यम में नर्सरी की छात्रा शरण्या धाराप्रवाह छत्तीसगढ़ी बोलती है। जब मुख्यमंत्री बघेल ने उसे अपनी गोद में उठाकर बातचीत शुरू की तो उसकी गुरतुर छत्तीसगढ़ी बोली सुनकर गदगद हो गए।
मुख्यमंत्री बघेल कल एक वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। यहां उन्हें पता चला कि शरण्या नाम की एक बच्ची धाराप्रवाह छत्तीसगढ़ी बोलती है, माता-पिता और परिजनों ने शरण्या को मुख्यमंत्री से मिलाया। अपने सरल-सहज स्वभाव के लिए प्रसिद्ध मुख्यमंत्री बघेल ने तत्काल बच्ची को अपने गोद में उठा लिया और उससे बातचीत शुरू की। नाम पूछने पर बच्ची ने तपाक से जवाब देते हुए कहा कि शरण्या, कौन से क्लास में पढ़ती हो पूछने पर उसने नर्सरी को नार्सरी कहा।
इस पर आसपास उपस्थित लोग भी हंस पड़े। इसके बाद बघेल ने बच्ची से पूछा, कौन से सब्जी खाथत, इस पर बच्ची ने कहा, भेंडी ( भिंडी)। बच्ची से बातचीत का सिलसिला चल ही रहा था कि इसी बीच किसी परिजन ने कहा कि वो कका को कुछ बताने वाली थी, इस पर बच्ची ने याद करते हुए कहा माथा दुखथे। यह सुनकर मुख्यमंत्री बघेल के साथ आसपास खड़े लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाए।

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री बघेल के प्रयास से आज छत्तीसगढ़ी संस्कृति और बोली लोगों के सिर चढ़कर बोलती है। छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए किए जा रहे मुख्यमंत्री बघेल के प्रयास अब रंग ला रहा है। इसका उदाहरण कई मौकों पर देखने को मिलता रहता है। अब इंग्लिश मीडिया में पढ़ने वाले बच्चे भी छत्तीसगढ़ी भाषा बोलने में किसी तरह की हिचकिचाहट नहीं दिखाते। वैसे भी बघेल इस मामले में सबसे आगे हैं, सार्वजनिक कार्यक्रम हो अथवा अधिकारियों को दिशा-निर्देश देने की बात हो। मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी भाषा में ही बातचीत करना ज्यादा पसंद करते हैं।

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