तिल्दा नेवरा बजरंग चौक राजेंद्र वार्ड क्रमांक 20 में महिला समिति के द्वारा श्रीमद् भागवत महापुराण की ज्ञान गंगा विगत दिनों से प्रारंभ है पंडित परम पूज्य महेश कुमार उपाध्याय कथावाचक के द्वारा कथा का श्रवण करवाया जा रहा है । भागवत कथा जो साथ दिवस पर्यंत साथ दिवस की यह कथा है । भागवत महात्म की कथा का गायन शुरुआत के दिन में हुआ जिसमें पदम म पुराण अंतर्गत 6 अध्याय में भागवत महात्म की गाथा कहां गया जिसके अंतर्गत दो प्रमुख कथा हमको सुनने को मिलता है पहले कथा है । कि नारद जी के द्वारा भक्ति और उनके बेटे ज्ञान वैराग्य का उद्धार होता है । और दूसरी कथा है जिसको गोकर्णों उपाख्यान कहते हैं । जिसमें धुंधकारी के निमित्त गोकर्ण जी महाराज सबको कथा सुनाते हैं अब पहले दिन की कथा में प्रथम स्कंध की कथा आज हम लोगों ने श्रवण किया है प्रथम स्कंध की कथा में भगवान के अवतारों का वर्णन आता है और आगे चलकर के तीन पुरुष परम भक्त भी भीष्म युधिष्ठिर और परीक्षित जी महाराज की कथा मिलती है और इसी प्रथम स्कंध में तीन नई परम भक्त पत्रों की चर्चा आती है । जिसमें कुंती माता द्रौपदी मैया और उत्तर मैया के संबंध में कथा आज हम लोगों ने श्रवण किया और उतरा मैया के ही गर्भ में परीक्षित जी महाराज आते हैं जिनके पिता अभिमन्यु जी महाराज हैं जब अश्वत्थामा के द्वारा ब्राम्हास्त्र छोड़ा गया तब उससे परीक्षित की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण के द्वारा किया गया जब ब्राह्मण के द्वारा श्राप लगा तो श्रीमद् भागवत की वाणी गाकर के भगवान ने परीक्षित की रक्षा की आज की कथा हम लोगों ने श्रवण किया सुखदेव जी महाराज ने आकर के परीक्षित जी महाराज को धन्य किया है और कथा का विस्तार फिर कल से महाराज करेंगे तंत्र भगत भगवान व्यास पुत्र और अगले दिन अगले दिन की कथा में तीन गृहस्थियों की चर्चा आएगी जिसमें पहले गृहस्थी है मनु और शतरूपा के पांच संताने होती हैं तीन बेटी और दो बेटे जिसमें से देवहुति , आकृति और प्रसूति तो यह हुए पहले गृहस्थ दूसरे गृहस्ती की चर्चा यह हुए पहले गृहस्थ दूसरे देवहूति का विवाह कर्दम जी के साथ होता है कपिल भगवान अवतार लेते हैं और शांति शास्त्र का विस्तार करते हैं और तीसरे गृहस्थ की चर्चा आती है जिसमे कश्यप की पत्नी है जिसमें से दिति और अदिति देवता और दानव की दोनों की मां और अदिति किन को कहा गया जो देवताओं की मां है तो द्वितीय और कश्यप के सहयोग से और हिरंकाशप जन्म लेते हैं और हिरण्याक्ष का उद्धार का उद्धार भगवान श्री महाराज जी के द्वारा होता है इस प्रकार से सृष्टि का निर्माण कैसे किया गया इसके बारे में बताया जाता है और अंत में चतुर्थ स्कंध में भगवान भोलेनाथ जी की विवाह साथ अध्याय में होती है.