रांची: 21 दिसंबर को झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने प्रदेश में सभी पेट्रोल पंपों को पूण रूप से बंद रखने की घोषणा की है। एसोसिएशन प्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर वैट की दरें कम करने की मांग कर रहा है। दूसरी ओर प्रदेश सरकार ने विधानसभा के चालू शीतकालीन सत्र में एक विधायक द्वारा पूछे गये प्रश्न के उत्तर में साफ़ कर दिया है कि उसकी तरफ से वैट में गिरावट किये जाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
वही झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने बताया कि हम लोगों ने प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री से भेंट कर उन्हें इस सिलसिले में ज्ञापन सौंपा था, मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। झारखंड में 1400 पेट्रोल पंप हैं, जिनसे सीधे रूप से 2।50 लाख से ज्यादा परिवारों की आजीविका जुड़ी है। वैट की उच्च दरों की वजह से कारोबार तो प्रभावित हो ही रही है, आम नागरिकों को भी समस्या हो रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज टैक्स में कमी के पश्चात् अधिकांश प्रदेशों ने पेट्रोलियम पदार्थों पर अपने कर कम कर दिये हैं, किन्तु झारखंड सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं हुई है। साल 2015 के फरवरी महीने में झारखंड की तत्कालीन सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट की दर 18 फीसदी से बढ़ा कर 22 फीसदी कर दिया था, उसी वक़्त से प्रदेश में यह कारोबार आहिस्ता-आहिस्ता कमजोर पड़ रहा है। एसोसिएशन की मांग है कि प्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर वैट की दरें 22 प्रतिशत से कम करके 17 प्रतिशत की जानी चाहिए। इस मसले पर पिछले 11 दिसंबर से ही एसोसिएशन की तरफ से जनजागरण अभियान चलाकर लोगों को कहा गया कि वैट नहीं घटाये जाने से प्रदेश को और उपभोक्ता को क्या हानि हो रही है। प्रदेश सरकार ने मांगें नहीं मानी, इसलिए 21 दिसंबर को प्रदेश के सभी पेट्रोल पंपों पर ‘नो परचेज-नो सेल’ का बोर्ड लगाकर हड़ताल रखी जायेगी।