देवी-देवताओं को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए व्यक्ति उनकी आराधना करता है, व्रत आदि भी रखता है। ताकि भगवान की कृपा उस पर हमेशा बनी रहे। शास्त्रों के अनुसार भगवान को भोग लगाने का भी विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि भगवान को भोग उन्हें लगाने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। साथ ही भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। वास्तु में भगवान को भोग लगाने से कई नियम बताए गए हैं। अगर इन नियमों को नजर अंदाज किया जाए या फिर इन पर ध्यान न दिया जाए तो आपकी किस्मत को रुठने में जरा भी देर नहीं लगेगी। कई बार लोग भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद को वहीं रखा हुआ छोड़ देते हैं। ऐसा करने से आपके जीवन में परेशानियां खड़ी हो सकती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति का सौभाग्य दुर्भाग्य में बदल जाता है। साथ ही सुखों की भी हानि होती है। वहीं अन्न को भी ईश्वर के समान ही माना जाता है। इसलिए कभी भी अन्न का अपमान नहीं करना चाहिए।
प्रसाद अर्पित करते समय रखें ध्यान
हिंदू धर्म में नैवेद्य को काफी पवित्र माना गया है। किसी भी पूजा में देवी-देवता को नैवेद्य अर्पित किया जाता है। लेकिन कई बार लोगों को ये नहीं पता होता कि उस नैवेद्य को अर्पित करने के बाद उसे क्या करना चाहिए। उसे खाना चाहिए या किसी को दे देना चाहिए। या फिर रखे रहना देना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान के प्रसाद को तुरंत वहां से हटा देना चाहिए।
इस पात्र में चढ़ाएं प्रसाद
वास्तु जानकारों का कहना है कि नैवेद्य को धातु यानी कि सोने, चांदी, तांबा, पत्थर, लकड़ी या मिट्टी के पात्र में ही रखना चाहिए। इन धर्म में इन धातुओं को काफी पवित्र माना गया है।
शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान को चढ़ाया हुआ भोग तुरंत निर्माल्य हो जाता है। ऐसे में उसे तुरंत वहां से हटा लेना चाहिए। प्रसाद को खुद ग्रहण करना चाहिए। और संभव हो तो दूसरों में बांट देना चाहिए। कहा जाता है कि भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद को तुरंत हटा लेना सही रहता है। प्रसाद को तुरंत ना हटाने पर विश्वक्सेन, चण्डेश्वर, चण्डांशु और चांडाली नामक नकारात्मक शक्तियां वहां आ जाती हैं।