रायपुर@Thethinkmedia.com
छत्तीसगढ़ का वन विभाग अपने कारनामों को लेकर लगातार सुर्खियों में हैं। इस विभाग में एक के बाद एक कारनामों की परतें खुल रही है। बेशकीमती सागौन की लकड़ी के नियम विरुद्ध परिवहन का मामला इन दिनों तूल पकड़ रहा हैै। दुर्ग जिले में निजी भूमि में सागौन लकड़ी की कटाई के बाद अफसरों द्वारा सीधा टी.पी. जारी कर दिया गया। कीमती लकड़ी सागौन की कटाई के बाद निकले काष्ठ को नियमानुसार वन विभाग के डिपो में परिवहन काराया जाना था। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने ऐसा न कर सीधा महाराष्ट्र के लिए टीपी जारी कर दिया। तत्कालीन वनमंडल अधिकारी द्वारा परिवहन करने के लिए टीपी जारी करने की अनुमति प्रदान की गई। उसके बाद परिक्षेत्र अधिकारियों द्वारा इमारती काष्ठ के नागपुर परिवहन के लिए टीपी जारी कर दिया गया। अब इस मालिक मकबूजा कांड में 2 आईएफएस समेत कुल 5 अफ सरों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। कहा जाता है इनके खिलाफ आरोप पत्र भी मुख्यालय पहुंच गए हैं। हालांकि अभी तक विभाग के जिम्मेदार अफसर मकबूजा कांड में कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं।
क्या है मालिक मकबूजा कांड़
दुर्ग जिले में निजी भूमि पर स्थित 948 सागौन वृक्षों की कटाई के लिए तहसीलदार दुर्ग द्वारा (अलग-अलग आवेदकों को) अनुमति दी गई थी। जिसमें वृक्षों की कटाई एवं परिवहन में जमकर अनियमितता की गई। तत्कालीन पीसीसीएफ संजय शुक्ला ने मालिक मकबूजा कांड को गंभीरता से लेते हुए जांच दल गठित किया था, जिसमें तीन अफसरों को शामिल किया गया है। बताया जा रहा है कि इस प्रकरण में तत्कालीन वनमंडलाधिकारी दुर्ग दिलराज प्रभाकर द्वारा फ रवरी 2020 में 366 सागौन वृक्षों की कटाई से प्राप्त इमारती काष्ठ को नागपुर (महाराष्ट्र) परिवहन करने के लिए टीपी जारी करने की अनुमति दे दी। परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा ध्रुव कश्यप के नाम से टी.पी. भी जारी कर दी गई। वहीं इसी तरह आईएफएस के. आर. बढई ने नवम्बर 2020 में 582 सागौन के पेड़ों से निकली इमारती काष्ठ के परिवहन करने के लिए टीपी जारी करने की अनुमति दे दी। सभी टीपी नागपुर (महाराष्ट्र) के लिए जारी की गई। मालिक मकबूजा प्रकरण में एक और खुलासा हुआ है जिस ध्रुव कश्यप द्वारा टीपी के लिए आवेदन दिया गया वह भू-स्वामी ही नहीं था। लेकिन वनमण्डल ने उसके आवेदन को स्वीकार कर लिया। जबकि जानकारों का मामना है कि सागौन पेडों की कटाई से प्राप्त काष्ठ को नियमानुसार वन विभाग के डिपों में परिवहन काराया जाना था। बजट मद -203 इमरती लकडी का राजकीय व्यापार-012 के तहत मालिक मकबूजा मद में बजट प्राप्त करने के बाद भू-स्वामी को राशि भुगतान किया जाना था। लेकिन अधिकारियों द्वारा ऐसा नहीं किया गया। यहां पर मालिक मकबूजा नियमों की धज्जियां उड़ाई गई। अब इनके खिलाफ चार्जसीट मुख्यालय पहुंच गई है। कहा जा रहा है परीक्षण उपरांत राज्य शासन को कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा।
दिलराज प्रभाकर के ऊपर पहले भी लगे है गंभीर आरोप
आईएफएस दिलराज प्रभाकर के ऊपर पहले भी गंभीर आरोप लग चुके है। खैरागढ़ वन मंड़ल में रहते हुए इनके द्वारा पूर्व में भी मालिक मकबूजा प्रकरणों में गंभीर अनियमितायें की गई है। इनके द्वारा तकरीबन 45 प्रकरणों में 19,93,970 रू. की अनियमितता बरती गई है।
क्या कहता है नियम
छत्तीसगढ़ वनोपज, व्यापार विनियमन अधिनियम 1969 के अंतर्गत सागौन विनिर्दिष्ट वनोपज (Specified forest produce) है। राज्य सरकार या राज्य सरकार के प्राधिकृत अधिकारी के अतिरिक्त अन्य कोई इसे क्रय नहीं कर सकता।