रायपुर में गर्दन की जगह कंधे का कर दिया इलाज, हो गई मरीज की मौत, अब अस्पताल देगा 5 लाख

रायपुर: उपभोक्ता फोरम ने फोरम ने मरीज के इलाज में लापरवाही मानते हुए एक निजी अस्पताल को पांच लाख रुपये मुआवजा और मानसिक पीड़ा के लिए 25 हजार रुपये अतिरिक्त देने का आदेश सुनाया है।

बता दें कि रेशमा वासवानी ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी कि 27 फरवरी 2014 को उनके पति किशोर वासवानी छत से गिर गए थे, जिससे उनकी गर्दन में चोट आई थी। उन्हें अस्पताल लाया गया, जहां सर्वाइकल स्पाइन इंजरी बताई गई। शुरुआत में वे होश में थे और ठीक से बातचीत कर रहे थे, लेकिन अस्पताल में इलाज के दौरान हालत लगातार बिगड़ती गई।

पीड़ित पक्ष का आरोप है कि दर्द निवारक दवाएं देने के अलावा कोई विशेष इलाज नहीं किया गया। स्वजन ने जब मरीज को अन्यत्र ले जाने की बात की तो प्रबंधन ने मरीज को जबरन वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया, जबकि वह खुद से सांस ले रहा था। इसके बाद बिना ईएनटी विशेषज्ञ के मरीज की ट्रैकियोस्टामी कर दी गई, जिससे संक्रमण फैल गया।

17 दिन रखा गया वेंटिलेटर

17 दिन वेंटिलेटर पर रखने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ और साढ़े चार लाख रुपये वसूल लिए गए। बाद में 20 मार्च को मरीज को आंबेडकर अस्पताल लाया गया, जहां डाक्टरों ने 36 घंटे में वेंटिलेटर हटा दिया और बताया कि पहले अस्पताल में गलत इलाज हुआ है। 29 मार्च को मरीज की मौत हो गई।

इस मामले की सुनवाई के बाद फोरम ने माना कि अस्पताल द्वारा मरीज के इलाज में लापरवाही बरती गई, जिससे उसकी हालत बिगड़ी और अंततः जान चली गई। फोरम ने अस्पताल को जिम्मेदार ठहराते हुए पांच लाख रुपये हर्जाना व मानसिक कष्ट के लिए 25 हजार अतिरिक्त राशि देने का आदेश दिया।

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