हलचल… जल्दबाजी नहीं है

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जल्दबाजी नहीं है

सीएम विष्णुदेव साय काफी सुलझे और अनुभवी राजनेता हैं। शायद यहीं कारण है कि उन्हें सीएम पद की शपथ लिए पांच दिन बीत चुके है, लेकिन अभी तक उन्होंने कोई फेरबदल नहीं किया है। उन्होंने अपने विचारों अनुरुप यह भी स्पष्ट कर दिया कि बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसके विपरीत आपार बहुमत पाने वाली कांग्रेस सत्ता को संभाल नहीं पाई। पूर्व सीएम भूपेश बघेल के कार्यकाल को याद किया जाए तो वह बेहद ही जल्दबाजी में नजर आये, हालांकि भूपेश बघेल भी काफी सुलझे राजनेता हैं पर उन्हें इतनी जल्दबाजी क्यों थी, यह तो स्वयं भूपेश ही जानेंगे। अतीत को देखें और याद करें तो सीएम पद की शपथ लेते ही किसानों की कर्जमाफी पर साइन करने के तुरंत बाद आईएएस तारन प्रकाश सिन्हा को प्रभारी आयुक्त जनसंपर्क नियुक्त कर दिया गया था। तारन सिंहा के साथ गौरव द्विवेदी को मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव बनाया गया, बाद में गौरव द्विवेदी ने दिल्ली चले जाना उचित समझा। यहीं नहीं रात 12 बजे तत्कालीन सीएस अजय सिंह को बदल दिया गया। रमन सिंह के सचिव रहे आईएएस सुबोध सिंह को लूप लाइन में डाल दिया गया। ऐसे अनेकों उदाहरण है जिसमें भूपेश बघेल ने बहुत ही जल्दबाजी दिखाई। खैर विष्णुदेव को कोई जल्दबाजी नहीं है। वह समझकर-देखकर और सोचकर निर्णय लेने वाले नेताओं में से एक हैं। शायद यही कारण है कि भूपेश बघेल के साथ काम करने वाले अफसरों को नए सीएम विष्णुदेव साय साथ लेकर चल रहे हैं। साय यह भली भांति जानते हैं कि नया प्रयोग करने से बेहतर है कि इन अफसरों के अनुभव का लाभ लेकर जनता से किए वादों को पूरा करने मेें जुटा जाए। सरकार बदलने पर अफसरशाही में स्वाभाविक रुप से कुछ परिवर्तन होते हंै। यहां भी संभव है, लेकिन अभी तक साय ने 2018 के दृश्य से दूरी बनाकर रखा है।

सनातन की रक्षा के लिए जेल गए अब उपमुख्यमंत्री

एक ऐसा नेता, एक ऐसा कार्यकर्ता जो सनातन की रक्षा के लिए जेल गया, अब वह छत्तीसगढ़ का उप मुख्यमंत्री है। जी हां हम बात कर रहे हैं धर्मनगरी कवर्धा विधायक विजय शर्मा की। विजय शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने पर भले ही आपको आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन राज्य में भाजपा की सत्ता वापसी में इस फायर ब्रान्ड नेता की महती भूमिका रही है। विजय शर्मा ऐसे नेता है, जो सतानत की रक्षा के लिए सीना-तान खड़े रहे। जेल गए, कई यातनाएं सही, पर डिगे नहीं, बिके नहीं। भाजपा और मोदी ऐसे चेहरों को ढूंढ़ निकालने और स्थान देने में देरी नहीं करते, शायद इसी कारण विजय आज अकबर से कहीं जादा पावरफुल हैं। जो अफसर अबकर के इशारे पर काम करते थे, आज विजय से नजरें चुरा रहे हैं। खैर विजय शर्मा यह जानते हैं कि सत्ता किसी की स्थाई नहीं है, ऐसे में वह पहले की तरह अभी भी सनातन धर्म की रक्षा के लिए खड़े रहेेंगे।

पी दयांनद की वापसी

सीएम विष्णुदेव साय के सीएम बनते ही आईएएस पी दयानंद की धमाकेदार वापसी की चर्चा है। हालांकि अभी तक इसके लिए कोई आदेश जारी नहीं हुए हैं, लेकिन दयानंद सीएम के इर्द-गिर्द दिखाई पड़ते हैं। इससे यह कयास लगाया जा रहा है कि पी दयानंद को राज्य शासन कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है। फिलहाल अभी इसके लिए इंतजार करना पड़ सकता है।

पीएम मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को समझने के लिए दूसरा मोदी ही चाहिए, और कोई राजनेता उन्हें शायद नहीं समझ सकता। एक झटके में मोदी ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्री बदल दिए। यही नहीं 15-20 साल तक जनता जिन चेहरों को देखते रही, उन्हें किनारे खड़ा कर दिया। दरअसल में मोदी यह भलीं-भांति जानते हैं कि यही सही अवसर है कि जब पीछे के पंक्ति में खड़े कार्यकातार्ओं को आगे लाकर जोश भरा जाए। नए चेहरे लाने से जनता को किसी भी प्रकार की कोई नाराजगी भी नही और कार्यकर्ता भी फुल रिचार्ज। मोदी ने नए चेहरे तो लाए ही इन चेहरों को अपने साथ खड़ा कर जनता को यह विश्वास भी दिलाया कि इनके पीछे मोदी ताकत से खड़ा है। इसका नाजारा शपथ ग्रहण समारोह के बाद देखने को मिला। कार्यक्रम खत्म होने के बाद मोदी ने संतो का अभिवादन किया, नव निर्वाचित विधायकों का भी उत्साह बढ़ाया। उसके बाद स्वयं से सीएम विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री द्वय अरुण साव और विजय शर्मा को अपने साथ बुलाकर जनता के सामने सिर झुकाकर अभिवादन किया।

ईश्वर सब देखता है

दिन था बुधवार, तारीख 13 दिसम्बर, शपथ ग्रहण समारोह में जनता मानो टूट पड़ी थी। लाखों की भीड़ में कोई वीआईपी और वीवीआईपी नहीं सब भीड़ में धक्का खाए, लेकिन जनता का उत्साह तब भी देखते बन रहा था। नियत समय से शपथ ग्रहण का कार्यक्रम पीछे खिसकते गया। पीएम के पहुंचने से पहले विधायकों, सतों और मेहमानों का आगमन शुरु हो चुका था। इस बीच साजा विधायक ईश्वर साहू की मंच पर एन्ट्री हुई, पूरा सांइस कांलेज मैदान ईश्वर-ईश्वर के नारों से गूंजता रहा। ईश्वर की गूंज से मानों बाकी विधायकों, नेताओं की खनक ही गायब हो गयी। मंच में बैठे सीनियर विधायक और पूर्व मंत्री ईश्वर साहू की लोकप्रियता देख हैरान रह गए। पूरे भीड़ में विधायक ईश्वर साहू आकार्षण केन्द्र बन गए। कुछ विधायक उन्हें हाथ जोडऩा सिखाते रहे, कुछ उन्हें अपने पास खड़ा कर जनता का अभिवादन करते रहे। लेकिन जैसे ही अमित शाह और नड्डा का आगमन हुआ ईश्वर को पीछे खिसका दिया गया। मंच में बैठे सीनियर नेताओं को यह समझ आ चुका था की ईश्वर की लोकप्रियता कहीं शाह को दिख गई तो हम में से किसी एक का नम्बर कट सकता है। उसके बाद ईश्वर पूरे कार्यक्रम में नहीं दिखे। खैर साजा वाले ईश्वर के सिर पर उपर वाले ईश्वर का हाथ है।

 

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