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‘अटल निर्माण वर्ष’ और नकारा पीडब्ल्यूडी विभाग
राज्य के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इस डिजिटल क्रांति और एआई के जमाने में भी अपने हांथ से लिखकर, बड़ी मेहनत और बड़े जतन से राज्य का बजट भाषण 2025-26 विधानसभा में प्रस्तुत किया था। निश्चित ही भाषण में उनकी भावनाएं भी होंगी और राज्य में विकास को नया आयाम देने का सपना भी। दरअसल वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने अपने लिखे हुए बजट भाषण में कहा था कि इस वर्ष को छत्तीसगढ़ में ‘अटल निर्माण वर्ष’ मनाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि यह निर्माण इंफ्रा का निर्माण तो है ही, इस निर्माण का आशय सभी क्षेत्रों में नए अवसरों का भी निर्माण है। लेकिन राज्य का निर्माण विभाग यानि कि पीडब्ल्यूडी उनके सपनों और विजन के विपरीत उन्हें खुलेआम मुंह चिढ़ाने का काम कर रहा है। आज इस वित्तीय वर्ष का आधा से अधिक का समय हाथ से निकल चुका है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के तकरीबन साढ़े तीन माह ही शेष बचे हुए हैं, लेकिन सरकार का निर्माण विभाग ‘अटल निर्माण वर्ष’ में पूरी तरह नकारा साबित हो चुका है। ‘अटल निर्माण वर्ष’ में पीडब्ल्यूडी विभाग में तकरीबन 9500 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान है। लेकिन राशि खर्च करने के आकड़ों ने सबको हैरान कर दिया है, परेशान कर दिया है। दरअसल कहा जा रहा है कि यह विभाग 9500 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान में से अभी तक महज 1900 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाया है। यह कैसा ‘अटल निर्माण वर्ष’ है? आखिर अटल निर्माण वर्ष’ में विभाग की स्थिति इतनी दयनीय क्यों है? क्या इस परफारमेंस को देखकर किसी को ऐतराज नहीं हो रहा? बहरहाल ‘अटल निर्माण वर्ष’ में इन्फ्रा के हाल सबके सामने है। अन्य क्षेत्रों के निर्माण के अवसरों पर कभी और चर्चा की जाएगी।
आपका सीएम आपका भाई, अब आपके बीच सीएम हेल्प लाइन
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हाल ही एक कार्यक्रम में कहा था कि आपका मुख्यमंत्री आपके समाज के बीच का है, आपका भाई है, आप आगे बढ़ें, सरकार हर कदम आपके साथ है। निश्चित ही मुख्यमंत्री अपने इस कसौटी पर खरे उतरते दिख रहे हैं। वह जनता को अपने से जोड़कर रखना चाहते हैं, उनकी परेशानियों को सुनकर उसका निराकरण करना चाहते हैं। दरअसल यह हम नहीं कह रहे यह उनके प्रयास चीख-चीख कर बयां कर रहे हैं। मुख्यमंत्री और उनकी टीम जल्द ही जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए सीएम हेल्पलाइल लेकर आ रहे हैं। सीएम हेल्पलाइन से जनता सीधा जुड़कर सरकार तक अपनी बात पहुंचा सकती है, शिकायत का समाधान पा सकती है। अब उन्हें दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा। इस प्लेटफार्म से सरकारी कर्मचारियों की जवाबदेही जनता के प्रति और सुनिश्चित होगी, जनता का सरकार पर और विश्वास बढ़ेगा। हालांकि इसके अलावा भी मुख्यमंत्री ने जनता के प्रति अधिकारियों और कर्मचारियों को और जवाबदेह बनाने अनेकों निर्णय लिए हैं। सरकारी काम -काज में और कसावट लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य में ई-फाइल का प्रयोग सफल रहा। ई-फाइल के चलते सरकारी काम की जवाबदेही और समयसीमा पर सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा है। अब 1 जनवरी से कलेक्टर कार्यालय, कमिश्नर कार्यालय एवं एचओडी में भी ई-फाईल के माध्यम से काम होंगे। इसके साथ ही मंत्रालय में सीएस, एसीएस और सचिव स्तर के अफसर भी अब सुबह 10 बजे तक डिजिटल अटेंडेंस लगाते दिख रहे हैं। मतलब कार्यालयीन समय में भी पावन्दी की शुरुआत सीधा उच्च स्तर से की गई है। संभव है यह फार्मुला जल्द ही सभी विभागों के मुख्यालय और उनके अधीन कार्यालयों में भी लागू हो जाएंगे।
तस्वीर और और भूपेश बघेल
राजनीति में कुछ भी निजी नहीं होता। यहां राजनेता का उठना-बैठना, कहना-सुनना सब जनता से जुड़ा हुआ होता है। दरअसल राजनीति और राजनेता में व्यक्तिगत और निजी जैसे शब्द पूर्णत: झूठे प्रतीत होते हैं। खैर इस पर सबके अपने-अपने तर्क हैं। लेकिन इन दिनों पूर्व सीएम भूपेश बघेल को एक तस्वीर ने संजीवनी देने का काम किया है। भूपेश बघेल और कांग्रेस इस तस्वीर को भुनाने में पूरी तरह जुट गए हैं, हालांकि एक राजनेता के रुप में किसी अवसर को भुनाने में कोई बुराई नहीं है। सम्भवत: इसीलिए भूपेश बघेल और कांग्रेस इस तस्वीर को निजी आयोजन से इतर सीधा जनता से जोडऩे में सफल होते दिख रहे हैं। इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे? फिलहाल इस कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन इससे कांग्रेस का कोई नुकसान नहीं होने वाला यह भूपेश और कांग्रेसी नेता भली-भांति जानते हैं।
विजन 2047 का बहिष्कार
विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरु होने जा रहा है। सत्र के पहले दिन यानि की रविवार को सरकार विजन 2047 पर चर्चा कराएगी। हालांकि शनिवार और रविवार को सामान्यत: विधानसभा में अवकाश रहता है। दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहला विधानसभा सत्र राजकुमार कॉलेज में 14 दिसम्बर को हुआ था। वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने शीतकालीन सत्र के पहले दिन विजन 2047 की चर्चा को बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस का कहना है कि विजन 2047 के नाम पर झूठ फैलाया जा रहा है। हालांकि 14 दिसम्बर को कांग्रेस पार्टी दिल्ली में एक बड़ा आंदोलन करने जा रही है, संभव है कंाग्रेस के ज्यादातर विधायक दिल्ली में आयोजित होने वाले इस आंदोलन में शामिल होंगे। वहीं शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की अध्यक्षता में विधायक दल की बैठक में जमीनों की बढ़ी गाइडलाइन दर को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी पर जोर दिया गया है। साथ ही किसानों के मुददे पर भी कांग्रेस का सदन में शोर-शराबा देखने को मिल सकता है।
छत्तीसगढ़ का पहला रामसर साइट
कोपरा जलाशय छत्तीसगढ़ का पहला रामसर साइट बन गया है। वहीं कोपरा को मान्यता मिलने के बाद देश भर में रामसर स्थलों की संख्या अब 94 हो गई है। बिलासपुर जिले का कोपरा जलाशय तकरीबन 209.753 हेक्टेयर में फैली यह आद्र्रभूमि जैव विविधता और पर्यावरण के कारण अंतराष्ट्रीय स्तर पर काफी महत्वपूर्ण मानी गई है। दरअसल रामसर साइट वह आद्र्रभूमि है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय महत्व के लिए रामसर संधि के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इसका प्रमुख उद्देश्य आद्र्रभूमि का संरक्षण और लगातार उपयोग सुनिश्चित करना है। यह संधि 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुई थी। निश्चित ही यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। इसके लिए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को प्रास्ताव भेजा था, जिस पर मुहर लगने से छत्तीसगढ़ को यह गौरव प्राप्त हुआ है।
सूचना आयोग में नियुक्ति के संकेत
लंबे समय से सूचना आयोग बिना किसी मुखिया के संचालित हो रहा है। जिसका इंतजार अब खत्म होने जा रहा है। संभव है कि आने वाले दिनों में आयोग में नियुक्तियों का सिलसिला शुरु हो जाए। दरअसल राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त समेत सूचना आयुक्त के लिए इंटरव्यू भी हो चुका है। मुख्य सूचना आयुक्त के लिए राज्य के पूर्व सीएस रिटायर्ड आईएएस अमिताभ जैन, पूर्व डीजीपी रिटायर्ड आईपीएस अशोक जुनेजा समेत अन्य रेस में हैं। माना जा रहा है कि विधानसभा सत्र के आखिरी-आखिरी इन नियुक्तियों पर मुहर लग सकती है।
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