हलचल… बस्तर का क्या?

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बस्तर का क्या?

छत्तीसगढ़ राज्य में दो माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। मतदान तारीख को लेकर अब घड़ी की सुइयां उल्टा घूमना शुरु कर दी हैं। इस बीच बस्तर का राजनीतिक समीकरण करवट लेते दिखाई दे रहा है। सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने विश्व आदिवासी दिवस के दिन कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस छोड़ते ही उन्होंने नई पार्टी बनाने की घोषणा भी कर दी। नेताम के अनुसार उनकी हमर राज पार्टी राज्य के 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में अरविंद नेताम और सर्व आदिवासी समाज बस्तर की सभी सीटों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। वैसे भी नेताम समर्थित सर्व आदिवासी समाज के प्रत्यासी अकबराम कोर्राम भानुप्रतापुर उपचुनाव में बहुत ही कम समय की तैयारी में 23371 मत हासिल करने में कामयाब हुए थे। हालांकि उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्यासी सावित्री मंडावी की जीत हुई। लेकिन इस बीच अरविंद नेताम को नए राजनीतिक प्रयोग में सफलता मिल गई। नेताम ने एक सीट पर (भानुप्रतापपुर उप चुनाव में) उम्मीदवार उतारकर यह परख लिया की बस्तर की सभी सीटों पर प्रत्यासी उतारने से राजनीतिक दृष्य कुछ और हो सकता है। शायद नेताम के इस्तीफे का कदम इसी ओर इशारा कर रहा है। यदि नेताम वास्तव में इसी ओर आगे बढऩे वाले हैं तो बस्तर में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

कैम्पा के कारनामों की गूंज

छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा बन चुका है। विपक्षी दल भाजपा कांग्रेस पार्टी को भ्रष्ट पार्टी साबित करने में जुटी हुई है। कोयला के बाद शराब फिर अब डीएमएफ न जाने जांच की आंच और किस-किस विभाग तक पहुंच जाए यह कुछ कहा नहीं जा सकता। यहां इन विभागों के अलावा वन विभाग में भ्रष्टाचार की खबरों की भरमार है, जिसको लेकर सरकार की चारों ओर किरकिरी हो रही है। विभाग में कैंपा की राशि में जमकर गड़बडिय़ां उजागर हुई हैं। पिछले चार सालों में कैम्पा के कारनामों की गूंज राज्य विधानसभा से लेकर लोकसभा तक रही। कई बार विधानसभा में तो कई बार लोकसभा में कारनामों की जांच की मांग उठती रही। इस बीच राज्य के एक आईएफएस अफसर के खिलाफ कैंपा के कारनामों के चलते कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज किया गया है। तो वहीं कई अफसरों की जांच की फाइलें मुख्यालय में धूल खा रही हैं।

बसपा की पकड़ कमजोर करने
खडगे के भरोसे कांग्रेस

बसपा की पकड़ कमजोर करने कांग्रेस खडगे के भरोसे दिखाई दे रही है। कहतें हैं इसीलिए जांजगीर में भरोसे का सम्मेलन आयोजित कर कांग्रेस चुनावी शंखनाद करने जा रही है। हालांकि इस आयोजन से पहले बहुजन समाज पार्टी ने बड़ा दांव खेलते हुए अगामी विधानसभा को लेकर अगस्त माह के शुरुआती सप्ताह में ही 9 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। जांजगीर क्षेत्र तथा आस-पास के इलाकों में आज भी बसपा की पकड़ मजबूत है। लिहाजा बसपा विधायक केशव चंन्द्रा और इंदू बंजारे को फिर से टिकट दी गई है। वहीं जांजगीर, अकलतरा, बेलतरा और जैजैपुर समान्य सीट है। पिछले चुनाव में अकलतरा में भी बसपा प्रत्यासी का मुकाबला काफी नजदीकी रहा। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा का जोगी कांग्रेस (छजकां) के साथ गठबंधन था। लेकिन इस बार समय से पहले प्रत्यासी घोषित करना यह इशारा कर रहा है कि छत्तीसगढ़ में बसपा किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। 2018 के चुनाव में बिलाईगढ़ में भी बसपा दूसरे स्थान पर रही। जांजगीर सीट में भी बसपा का अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिला था। वहीं बेमतरा जिले के नवागढ़ विधानसभा और सामरी विधानसभा के लिए भी बसपा ने प्रत्यासी घोषित कर बडा दांव खेला है। बसपा के प्रभाव वाले क्षेत्रों में कांग्रेस सेंध लगाना चाह रही है। इसी के चलते पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जन खडगे का भरोसे का सम्मेलन आयोजित किया गया है।

डीएमएफ में ईडी की एन्ट्री, एक और महिला आईएएस की बढ़ सकती है मुश्किलें

कोयला, शराब के बाद अब डीएफएफ में ईडी की एन्ट्री हो चुकी है। ईडी ने डीएमएफ की गड़बडिय़ों की जांच शुरु कर दी है। जिसके लिए विभिन्न जानकारी एकत्रित की जा रही है। पहले चरण में डीएमएफ की जांच कोरबा में तेजी से चल रही है। कोरबा जिला के कारनामों की कुण्डली ईडी ने तैयार करना शुरु कर दिया है। 2016 से अब तक की जानकारी जुटाई जा रही है। 2016 के पहले कलेक्टर रहे अफसरों ने तो राहत की सांस ली, लेकिन 2016 के बाद के अफसरों की मुश्किलें कभी भी बढ़ सकती हैं। ईडी मामलों के जानकारों का मानना है राज्य की एक और महिला आईएएस जांच की जद में आ सकती हैं। कहतें हैं कि जांच की जद में आए इस महिला आईएएस को वैश्विक महामारी कोविड 19 ने कुछ हद तक सुरक्षित रखा है। लेकिन गड़बडिय़ों की लंबी चौड़ी लिस्ट है, जिसमें कभी भी बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

फारेस्ट लैंड पर 250 करोड़ का एजुकेशन हब

छत्तीसगढ़ के एक जिले में तकरीबन 250 करोड का एजुकेशन हब बनाया गया है। भले ही हॉस्टल में कोई रहने वालाों की संख्या न के बाराबर हो, लेकिन यहां करोडों रुपये के गद्दे, रजाई खरीदे गए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यह एजुकेशन हब फारेस्ट रेवन्यु लैंड में बिना परमिशन के निर्मित किया गया है। अब इसको लेकर सरदर्दी बढ़ती जा रही है। खनिज संपदा से परिपूर्ण यह जिला पहले ही पूरे देश में सुर्खियों में हैं, अब आगे न जाने क्या होगा।

80 करोड़ का अंडा सप्लाई

वैसे तो सप्लाई का काम बहुत ही चोखा होता है। इसमें आपको बहुत ज्यादा मशक्कत करने की जरुरत नहीं होती, इसीलिए अपने पसंदीदा ठेकेदारों को सप्लाई का काम दिया जाता है। ठेकेदार भी अपने जुगाड़ में सप्लाई का काम ही लेना चाहते हैं। आपने कई सप्लाई के काम देखे होंगे, सुने होगें, उन्हीं में से एक अंडा सप्लाई का काम है। छत्तीसगढ़ के एक जिले में 80 करोड़ रुपये के अंडा सप्लाई किये जाने की खबर इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। वास्तव में यह खबर यदि सत्य है, तो इसमें कोई हैरान होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यदि अंडा खाने वालों की संख्या जादा हो तो 80 करोड़ से भी ज्यादा की राशि के अंडे सप्लाई किए जा सकते हैं।

भाजपा का हांफता मीडिया सेल

पूरे देश में भले ही भाजपा की पकड़ मीडिया और सोशल मीडिया में मजबूत हो, लेकिन छत्तीसगढ़ में बेहद कमजोर आंकी जा रही है। राज्य में भाजपा का मीडिया सेल हांफता दिखाई दे रहा है। प्रदेश भाजपा में मीडिया का दायरा सिर्फ टीव्ही डीबेट तक सिमट के रह गया है। मीडिया विभाग की पर्सनल पकड़ कांग्रेस के मुकाबले बेहद कमजोर हो चुकी है। वहीं अगामी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सोशल मीडिया में भी कांग्रेस भाजपा से कोसों आगे निकल चुकी है। वर्तमान परिदृश्यों में भाजपा राज्य में परसेप्सन बनाने में पीछे हो चुकी है, जबकि टीम भूपेश इस मामले में आगे निकल चुकी है। पूरे देश में सोशल मीडिया में राज करने वाली भाजपा को यह मंथन की आवश्यकता है, कि वह छत्तीसगढ़ में मीडिया और सोशल मीडिया प्रबंधन में क्यों हांफ रही है।

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