हलचल… सबसे बड़ा प्रत्याशी धान, ऐलान बाकी

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सबसे बड़ा प्रत्याशी धान, ऐलान बाकी

छत्तीसगढ़ में 2023 का विधानसभा चुनाव एकदम अलग होने जा रहा है। इस बार चुनाव परिणाम फिर आश्चर्यचकित करने वाले हो सकते हैं। भाजपा ने 85 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं। वहीं कांग्रेस इस लिहाज से पीछे चल रही है। खैर दोनों पार्टियों के प्रत्याशी अपनी-अपनी जगह हैं, राज्य में सबसे बड़ा प्रत्याशी अगर कोई है तो वह है ‘धान’। जिस पर अभी तक भाजपा ने पत्ता नहीं खोला है। भूपेश सरकार ने बीते 5 सालों में धान खरीदी को लेकर जो महौल और विश्वास राज्य में बनाया है, उसका काट आज भी भाजपा के पास नहीं है। भाजपा ने अभी तक धान के लिए एक शब्द भी नहीं कहा है। ऐसे में राज्य की जनता भाजपा की ओर टकटकी लगाकर देख रही है। वहीं कांग्रेस सरकार की धान खरीदी इस चुनाव में भी सबसे बड़ा अस्त्र है।

भाजपा में विश्वास का संकट

भाजपा ने अपने ही पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच विश्वास का संकट पैदा कर दिया है। दरअसल में भाजपा की एक कथित सूची मीडिया में वायरल होती है। जिसको भाजपा कहती है कि यह उनकी अधिकृत सूची नहीं है। लेकिन ठीक 3 दिन बाद भाजपा प्रत्याशियों की अधिकृत सूची जारी हो जाती है, उसमें लगभग वही सब नाम होते हैं जिसको पार्टी के नेता कहते रहे कि यह सूची उनकी नहीं है, या उनके द्वारा नहीं जारी की गई है। ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ता भला अपने नेताओं पर कैसे विश्वास करेंगे? यहीं नहीं ऐसा लग रहा था कि 2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद भाजपा सब बदल डालेगी। राज्य में विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारने के बाद 11 सांसदों को बदल दिया गया, उनकी जगह नए उम्मीदवार मैदान में उतारे गए। राज्य भाजपा अध्यक्ष बदल दिए गए। नेता प्रतिपक्ष बदल दिए गए। यहां तक की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी को भी बदल दिया गया। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में उतारे गए प्रत्याशियों को बदलने में भाजपा एक बार फिर नाकामयाब दिखाई दे रही है। भाजपा कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव की भांति विधानसभा चुनाव में भी फ्रेस कन्डीडेट मैदान में होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नवागढ़ सीट से 33 हजार से अधिक मतों से पराजित होने वाले दयालदास बघेल को फिर मैदान में उतार दिया गया, यही नहीं रमन मंत्रिमंडल के लगभग सभी सदस्यों को फिर टिकट दे दी गई। जिसको लेकर पार्टी के कार्यकताओं के बीच अन्दर ही अन्दर एक बार फिर विश्वास का संकट खड़ा हो गया है।

बलौदाबाजार में पेंच

बलौदाबाजार विधानसभा सीट में एक बार फिर पेंच फंसते दिखाई दे रहा है। दरअसल में इस सीट से भाजपा ने कुर्मी समाज से टंकराम वर्मा को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस की ओर से शैलेष नितिन त्रिवेदी पहले दावेदार बताए जा रहे हैं। त्रिवेदी पिछले 5 साल से लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं। वहीं दूसरा प्रमुख नाम छाया वर्मा का है। कहा जा रहा है कि छाया वर्मा की राज्यसभा की टिकट काटते समय यह कहा गया था कि उन्हें विधानसभा में टिकट दी जाएगी। अब छाया वर्मा पिछले 15 दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। छाया वर्मा का नाम सामने आते ही वर्तमान विधायक प्रमोद शर्मा फिर मैदान में दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों ने कुर्मी समाज अपने -अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। जिसके कारण छजकां प्रत्याशी प्रमोद शर्मा चुनाव जीतने में सफल रहे। वहीं इस बारे में यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस यदि शैलेश नितिन त्रिवेदी को अपना प्रत्याशी बनाती है, तो प्रमोद शर्मा शायद ही चुनावी मैदान में उतरे। खैर इन सब बातों में कितनी सच्चाई है यह निकट भविष्य में सामने आ जाएगी।

अमित जोगी पाटन से ही

छजकां प्रमुख अमित जोगी का पाटन से विधानसभा चुनाव लडऩा लगभग तय माना जा रहा है। कहते हैं कि अमित जोगी इसके लिए तैयारी में जुट गए हैं। इसके साथ ही राज्य के और किसी एक सीट से वह चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। पाटन विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी, साहू, यादव समाज के साथ ही एएसी समाज की बहुलता है। अमित जोगी के पिता दिवंगत नेता पूर्व सीएम अजीत जोगी की राज्य के एएसी समाज में खासी पैठ रही है। वह पाटन विधानसभा क्षेत्र में भी काफी सक्रिय रहे है। ऐसे में माना जा रहा है कि पाटन सीट में भी जमकर घमाशान देखने को मिलेगा।

बडग़ैंया को रजनीश का साथ

भाजपा ने राज्य की 85 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं। सिर्फ पांच सीटों पर अभी तक प्रत्याशियों के नाम का ऐलान नहीं किया गया है, जिसमें बेलतरा सीट भी शामिल है। कांग्रेस की ओर से इस सीट से प्रमुख रुप से सीएम भूपेश बघेल के सलाहकार प्रदीप शर्मा का नाम सामने आ रहा है। वहीं भाजपा से रिटायर्ड आईएफएस एसएसडी बडग़ैंया को प्रत्याशी बनाए जाने की प्रबल संभावना है। दरअसल में वर्तमान विधायक रजनीश सिंह ने भी पार्टी नेतृत्व को साफ कह दिया है कि यदि उनकी जगह बडग़ैंया को चुनाव मैदान में उतारा गया तो वह पूरी ताकत के साथ उन्हें जिताने का काम करेंगे। रजनीश का साथ मिलने से बडग़ैंया की दावेदारी और मजबूत हो गई है। हालाँकि इस सीट से उमेश गौरहा, विजयधर दीवान और शुशांत शुक्ला के भी नाम शामिल हैं। लेकिन वर्तमान विधायक का बडग़ैंया की तरफ झुकाव उनकी दावेदारी को और मजबूत कर दिया है।

माथुर नमस्ते लंदन ?

कहा जा रहा है कि भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर भी नमस्ते लंदन देखने वाले हैं। दरअसल में माथुर प्रत्याशियों की सूची लीक होने से काफी खफा हैं। कहते हैं कि वह दिल्ली से राजस्थान निकल गए। अब नमस्ते लंदन ही देखना बांकी है। प्रत्याशियों की सूची वायरल होने के पहले तक माथुर ने राज्य में काफी दमखम दिखाया था। लेकिन जैसे -जैसे चुनाव मतदान की तिथि नजदीक आ रही है, माथुर की भूमिका सिमटते दिखाई दे रही है। इसके पीछे क्या वजह है यह तो पार्टी के रणनीतिकार ही जानेंगे। यहीं नहीं जगदलपुर में हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा में भी माथुर नजर नहीं आये। अब लगभग पूरी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय हो चुके हैं, लेकिन माथुर चुनावी पिक्चर से ही गायब हो गए हैं। कहा जा रहा है कि माथुर को नमस्ते लंदन देखना ही ठीक लगने लगा है।

 

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