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मानवीय भूल या राजनीति?
नए विधानसभा भवन उद्घाटन के दौरान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह अपने स्वागत भाषण के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का नाम लेना भूल गए। तो वहीं प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में रायपुर लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल का नाम नहीं लिया। इतना ही नहीं लोकसभा स्पीकर ओम बिरला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मुख्यमंत्री कहते नजर आये। वैसे तो इसे पहले दृष्टि में मानवीय भूल माना जा सकता है। लेकिन विपक्ष का काम है सवाल खड़े करना, मुद्दा बनाना, जिसे वह बना रही है। विपक्षी दल ने इन सभी बातों को भाजपा की गुटबाजी करार दिया है। प्रधानमंत्री के वापस जाने के बाद इन दिनों प्रदेश की राजनीति में इसी बात की चर्चा हो रही है कि आखिर डॉ. रमन सिंह ने अपने संबोधन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का नाम क्यों नहीं लिया? प्रधानमंत्री ने बृजमोहन अग्रवाल को क्यों नजरअंदाज किया? वास्तव में इन तमाम वाकयों को सिर्फ मानवीय भूल ही माना जा सकता है। क्योंकि प्रधानमंत्री के साथ इतना लंबा समय बिताने के बाद भी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की जुबान फिसल गई, वह प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री कहते नजर आये, तो फिर बांकी नेताओं की क्या बात की जाए। इतने बड़े मंच पर मानवीय भूल होना आम बात है। बहरहाल यह मानवीय भूल है या राजनीति इसे तो भाजपा के यह तमाम दिग्गज नेता और कांग्रेसी नेता ही जानेंगे।
पान, नेता और 50 लाख, सच क्या?
इन दिनों पान खाने वाले नेताजी और 50 लाख का मामला खूब चर्चा में है। यह सच है या अफवाह? यह तो नेताजी और पान के नाम पर नेताजी को चूना लगाने वाले साहब ही जानेंगे। दरअसल एक समाचार पत्र के विशेष कॉलम में नेता जी के साथ अफसर के दोपहर के लंच का भी जिक्र है। कहा तो यह भी गया है कि 25-25 लाख दो माह के एडवांस दिए गए हैं, वो भी पान खाने के लिए। अब नेता जी कौन सा पान खाते हैं? यह तो वहीं जानेंगे, जिसके लिए इतनी बड़ी राशि दी गई है। इसके पीछे तर्क यह है कि साहब को नेता जी विभाग से टाटा बॉय-बॉय करना चाहते हैं। जिसको देखते हुए दो माह का पान खर्च 25-25 लाख एडवांस छोड़ा गया है। लेकिन यह खबर जिस तरीके से बाजार में तैर रही है, उससे यह कहा जा सकता है कि पान का तो पता नहीं, पर साहब ने नेता जी को चूना जरुर लगा दिया है।
रमन और मोदी मित्र
नए विधानसभा भवन उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की तारीफ करने से नहीं चूके। पीएम मोदी ने डॉ. रमन सिंह को अपना मित्र बताते हुए कहा कि रमन कभी कप्तान हुआ करते थे। आज वह एक प्लेयर के रुप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, यह उनके सर्मपण भाव को दर्शाता है। मोदी ने कहा विधानसभा भवन में अध्यक्ष के रुप में डॉ. रमन जैसा अनुभवी नेता विराजमान हैं, निश्चित ही उनके अनुभवों का लाभ छत्तीसगढ़ को मिलेगा। इतना ही नहीं सभा समाप्त होने के बाद पीएम मोदी नीचे आये और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की धर्मपत्नी वीणा सिंह के पास जाकर उनके तबियत के बारे में भी पूछा और कहा कि इसी माह के आखिरी में मैं फिर आ रहा हूं। मोदी का यह भाव रमन ही नहीं बल्कि उनके परिवार को भी छू गया। वीणा सिंह ने भी कहा वह देश के प्रधानमंत्री हैं, राजा हैं, इतना याद रखते हैं, यह उनका बड़प्पन है। खैर इन तमाम घटनाओं को देखकर यह कहा जा सकता है कि मोदी और रमन मित्र ही हैं।
महंत खमोश क्यों?
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत और भारतमाला परियोजना दोनों का गहरा नाता है। यहां गहरा नाता इसलिए कहा जा रहा क्योंकि नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इस परियोजना में हुए भ्रष्टाचार को विधानसभा में जोर -शोर से उठाया था। महंत लगातार मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग करते रहे, लेकिन मंहत की एक न सुनी गई। खैर सीबीआई जांच न सही लेकिन राज्य की जांच एजेन्सी इओडब्ल्यू-एसीबी के द्वारा मामले की जांच की जा रही है। और अब हाईकोर्ट ने एसडीएम समेत 7 आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। लेकिन अभी तक इन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है? मामले को लेकर राज्य की पुलिस खामोश है, फिलहाल इस पर कुछ कहना उचित नहीं है। लेकिन नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत खामोश क्यों हैं? यह सवाल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल डॉ. चरणदास महंत ने भारतमाला परियोजना में हुए भ्रष्टाचार की जांच को लेकर विधान सभा में कहा था कि इस परियोजना में हुए भ्रष्टाचार को लेकर उन्हें हाईकोर्ट जाना पड़े, जाएंगे, सुप्रीम कोर्ट जाना पड़े, जाएंगे, यहां तक की प्रधानमंत्री से मिलना पड़े, तो मिलेंगे, लेकिन जांच कराकर ही दम लेंगे। अब जांच हो रही है, आरोपियों की जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई है, लेकिन महंत और कांग्रेस ने अभी तक इन आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग तक नहीं की हैै? संभवत: इसलिए लोग अब पूछ रहे हैं कि आखिर महंत भारतमाला पर अब खामोश क्यों हैं?
विष्णुदेव सरल ही
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का स्पीच सुनकर यह कहने में कोई संकोच नहीं कि वह वास्तव में सहज और सरल ही हैं। दरअसल उनके भाषण में छत्तीसगढ़ के स्वभाव अनुरुप सरलता और सर्मपण का भाव दिखा। वह अपने अतिथि ‘प्रधानमंत्री’ के प्रति और राज्य की जनता के प्रति शब्दों से परे भाव को सजाकर परोसते नजर आये। उनके भाषण में सरलता के साथ ही प्रधानमंत्री और जनता के प्रति आत्मीयता दिखी। इतना ही नहीं इतने बड़े मंच में वह किसी भी प्रकार की मानवीय भूल के शिकार भी नहीं हुए। मंच में बैठे तमाम अतिथियों का उन्होंने बकायदा अभिवादन किया, जिक्र किया। उनके योगदान को भी बताने में सीएम विष्णुदेव साय ने परहेज नहीं की। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह से भले ही मानवीय भूल भले हुई हो, लेकिन विष्णुदेव साय ने राज्य के विकास में उनके योगदान को गिनाने से परहेज नहीं किया। सीएम विष्णुदेव साय के स्पीच को सुनकर यह कहा जा सकता है कि वह वास्तव में सरल और सहज ही हैं।
जुआ और नेताओं की किरकिरी
हमारे देश में दिवाली को उत्सव के रुप में मनाया जाता है। लेकिन कुछ जगहों पर, कुछ विशेष लोग इस अवसर पर जुआ खेलने के चलन को भी बरकरार रखे हुए हैं। इस जुआ ने इस बार नेताओं की किरकिरी करा दी। दरअसल इस दिवाली पर पुलिस जुआ को लेकर काफी सक्रिय रही। जगह-जगह पुलिस ने छापामार की कार्यवाही की। बिलासपुर में पुलिस ने छापा मारा तो यहां भाजपा के एक नेता और एक भाजपा विधायक के भतीजे धरा गए। बिलासपुर ही नहीं सुकमा में भी जुआ को लेकर खूब किरकिरी हुई। यहां एक मंत्री के करीबी नेता धरा गए। बताया जा रहा है कि सुकमा के यह नेता मंत्री जी के खासम-खास हैं, जिन्हें विशेष सुरक्षा भी प्रदान की गई है। खैर यह लत ऐसी है कि धरा गए तो किरकिरी होना तय है।
व्यापारी निराश
रजत जयंती वर्ष पर प्रधानमंत्री के आगमन में रोड शो के दौरान जमकर उत्साह दिखा। प्रधानमंत्री भी यहां के आयोजनों को देखकर काफी गदगद हुए। जगह-जगह पर प्रधानमंत्री का अभिवादन और स्वागत किया गया। लेकिन इस दौरान व्यापारी वर्ग को निराशा हाथ लगी। दलअसल जैनम के पास व्यापारियों के संगठन ने प्रधानमंत्री के जोरदार स्वागत की तैयारी की थी, लेकिन प्रधानमंत्री का काफिला यहां रुका ही नहीं, आगे बढ़ गया और व्यापारी प्रधानमंत्री का स्वागत नहीं कर पाये। कहा जा रहा है कि सतीश थौरानी के साथ काफी संख्या में व्यापारीगण जैनम के पास मौजूद थे, जिन्हें निराशा हाथ लगी।
भाजपा नेताओं का बिहार में डेरा
राज्य के ज्यादातर भाजपा नेता इन दिनों बिहार में डेरा डाले हुए हैं, जिसमें अधिकतर निगम-मंडल के अध्यक्ष शामिल हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी नितिन नबीन पटना के बांकीपुर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। इस दौरान राज्य के भाजपा नेताओं का नबीन के साथ खड़े रहना, अपने आप को उनके करीब ले जाने का सबसे सरल रास्ता है। हालांकि कुछ ऐसे नेता भी बांकीपुर पहुंचे जिनका चुनाव से कोई लेना देना ही नहीं, फोटो खिंचवाकर छत्तीसगढ़ वापस आ गए।
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