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लूट सको तो लूट लो ऑफर को चन्द्राकर ने उलझाया?
नवा रायपुर डवलवमेन्ट अथॉरिटी इन दिनों लूट सको तो लूट लो ऑफर के लिए चर्चित है। एनआरडीए के कारनामों की कहानी दबे जुबान ही सही लेकिन विधानसभा तक पहुंच गई। कुरुद विधायक अजय चन्द्राकर ने विधानसभा में वेटलैंड का मामला उठाया। चन्द्राकर ने यह मामला क्यों उठाया? इसकी चारों ओर चर्चा हो रही है। खैर यह अजय चन्द्राकर का विशेषाधिकार है। दरअसल कहा जा रहा है कि एनआरडीए ने इन दिनों सरकारी जमीनों को औने-पौने दाम में बिल्डरों व अन्य को बेचना शुरु कर दिया है। जिसके कारण सरकारी जमीनों पर बड़े खेल की आशंका जताई जा रही है। शायद इसीलिए अजय चन्द्राकर द्वारा विधानसभा में वेटलैंड पर पूछा गया सवाल घड़ी में 12 बजते- बजते झांझ पर समाप्त हुआ? वेटलैंड, झांझ और नवा रायपुर की आखिर कहानी क्या है? नियम और परम्परा की सूझ रखने वाले अजय चन्द्राकर यह भली-भांति जानते हैं कि कोई भी मास्टर प्लान सुप्रीम कोर्ट से बड़ा नहीं होता। शायद वह यह भी जानते हैं कि 18.64 एकड़ में ब्रान्डेड रेसीडेन्सी का मामला सिर्फ झांझ, वेटलैंड और सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही रोका जा सकता है। बहरहाल चन्द्राकर का मकसद जो भी हो लेकिन वेटलैंड पर पूछे गए उनके सवाल ने नवा रायपुर में जमीनों की लूट को उलझा दिया है।
जाके पांव फटे न बिवाई, वो का जाने पीर पराई
जी हां यह बात सोलह आने सच है कि गरीबों और जरुरतमंद का दर्द वही समझ सकता है, जिसने उनके दर्द को महसूस किया हो, जिसने उनके दर्द को नजदीक से देखा हो। मुख्यमंत्री साय ने अपने जीवन का ज्यादातर हिस्सा गांव-गरीब के बीच गुजारा है। 12 वर्ष की उम्र में पिता का साया उठ जाने के बाद भी वह जनसेवा की राह पर चलते रहते। विपरीत परिस्थितियों में भी वह जनता के बीच डटे रहे। भला उनसे बेहतर गांव-गरीब के दर्द को कौन समझ सकता है। दरअसल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जबाव देते हुए कहा कि ‘जाके पांव फटे न बिवाई, वो का जाने पीर पराई’ सीएम साय का कहना है कि गांव-गरीबों का दर्द कांग्रेस नहीं समझ सकती। अपनी सरकार के दूसरे बजट सत्र में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कान्फीडेंस देखते ही बनता था। वह सहज और सरल भाव से सदन में गैर मौजूद विपक्ष पर एक से एक तीर छोड़ते नजर आये। विधानसभा में सरकार की हर एक योजनाओं का लाभ जनता को दिलाने का लक्ष्य लिए विष्णुदेव साय का स्पीच सभी को सम्मोहित करते रहा।
पुलिस की गिरती साख, जिम्मेदार कौन?
राज्य में लगातार पुलिस की साख गिरते नजर आ रही है। पुरानी सरकार में तो सत्ताधारी दल के विधायक रहे शैलेश पांडे ने रेट लिस्ट तक की बात कह डाली थी। खैर अब निजाम बदल चुका है, पुलिस की कार्यप्रणाली भी बदल जानी चाहिए। लेकिन अब भी बहुत कुछ बदलते नहीं दिख रहा। पुलिस अपने कार्यप्रणाली को लेकर एक बार फिर घिरते नजर आ रही है। एक एडिशलन एसपी के इशारे पर राज्य के प्रमुख विपक्षी दल के चीफ के यहां रैकी की घटना सामने आई है। इस घटना के बाद पूरा विपक्ष आग बबूला है, गुस्से में विपक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही तक का बहिष्कार कर दिया। पुलिस द्वारा भेजे गए दल का वीडियो पब्लिक डोमेन में मौजूद है। राज्य की जनता भी इस घटना को उचित नहीं मान रही। पुलिस के अफसरों का अपने मूल काम को छोड़ ऐसी घटनाओं में शामिल होना निश्चित ही चिंता का विषय है। इस घटना के बाद एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर पुलिस की गिरती साख का जिम्मेदार कौन हैं?
महाराष्ट्र की तर्ज पर छत्तीसगढ़ की महिलाओं का वंदन?
3 मार्च को वित्त मंत्री ओपी चौधरी अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करेंगे। कहते है कि ओपी चौधरी का दूसरा यह बजट राज्य की महिलाओं के लिए समर्पित होगा। वर्तमान में छत्तीसगढ़ की महिलाओं को प्रतिमाह 1000 रुपये महतारी वंदन की राशि दी जा रही है। वहीं भाजपा की ही सरकार महाराष्ट्र में महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह दे रही है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में यह राशि लाडली बहनों को 1250 रुपये प्रमिताह दी जा रही है। महाराष्ट्र में इसे आगामी दिनों में बढ़ाकार 2500 रुपये प्रतिमाह किया जा सकता है। इसको देखते हुए राज्य के वित्त मंत्री ओपी चौधरी अपने दूसरे बजट में वंदनीय महतारियों के लिए पिटारा खालने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि महतारी वंदन की राशि 1000 से बढ़ाकर 1500 रुपये प्रतिमाह की जा सकती है।
यह मेरी क्लास है, यहां जनता को जवाब देना पड़ेगा
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल की ही तरह छत्तीसगढ़ विधानसभा का भी कुशलता से संचालन करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने बजट सत्र के दौरान राज्य के मंत्रियों को साफ संदेश दिया है कि यह मेरी क्लास है, यहां जवाब देना पड़ेगा, यहां कोई आनाकानी नहीं चलेगी। दरअसल विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने मंत्रियों द्वारा दिए जाने वाले आश्वासन पर नाराजगी जताई। स्पीकर ने साफ तौर पर मंत्रियों को हिदायत दी कि आश्वासन संबंधी जवाब सत्र के दौरान ही दिए जाएंगे, यहां गड़बड़ नहीं चलेगी। विधानसभा में जवाब देने में देरी को लेकर अफसरों की गंभीरता की बात का मामला सामने आया था, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कड़े तेवर दिखाये। डॉ. रमन सिंह विधानसभा में सभी सदस्यों को बात रखने का पूरा अवसर प्रदान कर रहे हैं। रमन सिंह ने विषय के गंभीरता को देखते हुए मंत्रियों को जवाब देने की हिदायत दी है।
तब ‘लड़े से टरे बने’ और अब क्या ?
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत राज्य में कांग्रेस की सत्ता रहते हुए पार्टी के बीच चल रहे द्वंद के दौरान कहा था कि ‘लड़े से टरे बने’। दरअसल उस दरम्यान महंत राज्य में विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे थे। इस दौरान दो बड़े नेताओं के बीच कुर्सी का द्वंद चल रहा था। दोनों ओर से राजनीतिक तीर छोड़े जा रहे थे। तब डॉ. महंत ने विवाद को लेकर साफ तौर पर कहा था कि ‘लड़े से टरे बने’। इसके साथ ही डॉ. चरणदास महंत कबीर के दोहे का भी अनुशरण करते हैं। महंत कई बार यह कहते नजर आते हैं कि ‘न काहू से दोस्ती न काहू से बैर…’। लेकिन हाल ही में कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. चरणदास महंत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव से दोस्ती का ऐलान खुले मंच से किया। महंत का वह बयान राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसमें डॉ. चरणदास महंत सार्वजनिक रूप से यह कहते नजर आए कि राज्य में अगला चुनाव टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, तो क्या यह सिंहदेव से महंत की दोस्ती नहीं है क्या? फिर ‘न काहू से दोस्ती न काहू से बैर’ का क्या?
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