हलचल… जूते मारो आन्दोलन की एन्ट्री

thethinkmedia@raipur

विष्णु का राजनीतिक चक्र

राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इन दिनों निखरे-निखरे से दिख रहे हैं। बीते माह की अपेक्षा साय में अब स्पष्ट तौर पर राजनीतिक निखार दिखने लगा है। अभी तक नक्सल गतिविधियों के सफाया का पूरा श्रेय उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ले रहे थे, जिस पर विराम लगते दिख रहा है। नक्सल मामलों में भी विष्णुदेव साय अपना राजनीतिक चक्र छोडऩा शुरु कर दिये हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य पूरे देश में नक्सल गतिविधियों के लिए चर्चित रहा है। दिल्ली समेत विदेशों में भी नक्सलवाद की गूंज देखने को मिलती रही। लेकिन अब केन्द्र और राज्य सरकार नक्सल गतिविधियों के सफाया की ओर अग्रसर हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के रहते हुए पूरा का पूरा श्रेय उपमुख्यमंत्री को मिलना राजनीतिक लिहाज से उचित नहीं है। शायद यह बात विष्णुदेव को समझ आ गई है, सम्भवत: इसीलिए अब नक्सल मामलों में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा से पहले मुख्यमंत्री विष्णुदेव के बयान देखे और सुने जा सकते हैं।

आखिर ठग ही लिए गए साय

चौथेपन में ठग लिए गए साय, जी हां हलचल कॉलम में कांग्रेस की सदस्यता लेते वक्त ही लिखा गया गया था कि नन्दकुमार साय ठग लिए गए हैं। हालांकि इस ठगी के लिए साय खुद ही जिम्मेदार हैं। दरअसल में साय के ठगी का अनुमान इसलिए था कि उन्होंने जिस कांग्रेसी नेता के झांसे में आकर कांग्रेस की सदस्यता ली, उनकी कोई राजनीतिक विश्वसनीयता है ही नहीं। इतिहास को देखेंगे तो वह कभी किसी के नहीं रहे, सदैव व्यापार और कारोबार को तवज्जो दिया, तो भला साय के कैसे होंगे? खैर भाजपा में रहते हुए राष्ट्रीय स्तर के नेता नन्दकुमार साय को कांग्रेस ने सदस्यता के बाद पार्षद स्तर का पद दे दिया। हालांकि साय का कांग्रेस प्रवेश भी पार्षद स्तर के नेता के सानिध्य में हुआ, इसलिए उनके ठगे जाने में कोई आश्चर्य भी नहीं। लेकिन साय ने यह निर्णय तब लिया जब छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने को कुछ माह ही शेष थे। नन्दकुमार साय यदि विधानसभा चुनाव के वक्त भाजपा के साथ होते, तो इसमें कोई शक नहीं कि वह आज राज्य के शीर्ष पद विराजमान होते। खैर नन्दकुमार साय के ऐसे दिन आयेंगे कि उन्हें चुपके से आनलाइन सदस्यता लेनी पड़ेगी, यह किसी ने नहीं सोचा रहा होगा। निश्चित ही चौथेपन में साय ठग लिए गए हैं।

जूते मारो आन्दोलन की एन्ट्री

आपने बहुत सारे आन्दोलनों का नाम सुना होगा, देखा भी होगा, लेकिन जूते मारो आन्दोलन का नाम शायद ही सुना होगा, शायद ही देखा होगा? तो सुन लीजिए और देख लीजिए अब राजनीति में जूते मारो आन्दोलन की भी एन्ट्री हो चुुकी है। सिंधुदुर्ग के मालवण में छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा गिर गई। जिसके विरोध में मुंबई में जूते मारो आन्दोलन किया गया। सोसल मीडिया की तस्वीरें और वीडियो को देखें तो बकायदा इस आन्दोलन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिन्दे और देवेन्द्र फणनवीस के पोस्टरों को जूते-चप्पलों से मारा जा रहा है। जूते से पीटाई करने वाले कोई साधारण राजनेता नहीं, बल्कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उधव ठाकरे हैं। राजनीति में इस तरह की बढ़ती कड़वाहट आगे जाकर कहां रुकेगी फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता। बहरहाल राजनीति में जूते मारो आन्दोलन की एन्ट्री हो चुकी है। आन्दोलन की एन्ट्री होने के बाद अब किसी भी राज्य में जूते मारो आन्दोलन का दृश्य दिखाई दे तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

बृजमोहन की बगावत

सीमेंट के बढ़े दामों को लेकर बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। बृजमोहन ने मोर्चा खोलते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। बृजमोहन अग्रवाल ने एकाएक सीमेंट में 50 रुपए प्रति बोरी की वृद्धि को वापस लेने के लिए चौतरफा मोर्चा खोल दिया है। राजनीतिक मायनों में इसे बगावत भी समझा जा सकता है। हालांकि बृजमोहन अग्रवाल की राजनीति राज्य की मौजूदा भाजपा सरकारों (रमन 1, 2, 3) के विपरीत ही देखी गई है, तो भला सुशासन वाली इस विष्णु सरकार में बृजमोहन कैसे खामोश रहेंगे। बृजमोहन ने सीमेंट कंपनियों का बहाना लेकर राज्य सरकार से सीधा भिडऩे का साहस दिखाया है। हालांकि बृजमोहन अग्रवाल का यह राजनीतिक कदम छत्तीसगढ़ की आम जनता के लिए हितकर है। सवाल यह उठता है कि इस फैसले पर मुख्यमंत्री से लेकर सभी नेता खामोश क्यों हैं? सीमेंट कंपनियां सीधा 50 रुपए प्रति बोरी की वृद्धि कर दी, लेकिन चारों ओर खामोशी है? बहरहाल सोये हुए विपक्ष की कमी को बृजमोहन ने महसूस नहीं होने दिया। रेत की बढ़ी कीमतों के बाद अब सीमेंट की यह मार जनता को बड़ी चोट पहुंचाने वाली हैं।

सिकेट्री स्तर के अफसरों के विभाग बदले जाएंगे

जल्द ही सिकेट्री स्तर के कई अफसरों के विभाग बदले जा सकते हैं। दरअसल में आईएएस रजत कुमार, अमित कटारिया की छत्तीसगढ़ वापसी हो चुकी है। ऐसे में अफसरों के विभाग बदले जाने तय है। हालाकि अमित कटारिया अभी आवकाश में चले गये हैं। वहीं कई सीनियर अफसरों को साय सरकार में अच्छे मंत्रालय की जिम्मेदारी ना सौंपकर छोटे-छोटे विभाग सौंपे गये हैं। जबकि रमन सरकार में यह अफसर बड़ी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके हैं। इसके साथ ही अनुभव की कमी होने के करण सचिवालयों में फाइलों का मूवमेंट एकदम धीमा है। जिसकी वजह से सरकारी काम काज भी एकदम ठंड़ा पड़ा हुआ है।

मंत्रियों का अहम

कहते हैं कि विष्णु सरकार में मंत्री आठ माह में ही जनता और जन प्रतिनिधियों से दूरी बना लिये हैं। एक मंत्री तो नेता और पत्रकार किसी से बात नहीं करते। कहा जा रहा है कि राजधानी के नजदीक वाले एक लोकसभा सांसद ने तो अब मंत्री जी को फोन करना ही बंद कर दिया। दरअसल में सांसद जी ने कई बार मंत्री जी को फोन किया, लेकिन मंत्री जी ने ना ही उनका फोन उठाया और ना ही बाद में बात करना उचित समझा। बहरहाल 8 माह में ही राज्य के मंत्री जनता और जनप्रतिनिधियों से एैसी दूरी बनायेंगे यह किसी ने सोचा नहीं होगा।

editor.pioneerraipur@gmail.com

शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *