भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने साफ़ कह दिया है कि अब आश्वासन नहीं आदेश चाहिए। मुखर कर्मचारियो ने कहा शिवराज सरकार पहले भी सिर्फ़ आश्वासन देते आ रही है , 2018 से सिर्फ़ आश्वासन दे रही है। नई संविदा नीति तो सरकार ने बनाई लेकिन उसका लाभ बीते चार सालों में नहीं दिया गया। अब सरकार के स्वास्थ्य मंत्री फिर सोसल मीडिया के माध्यम से कोरा आश्वासन दे रहे हैं कि पंद्रह दिन में 5 जून 2018 की नीति को लागू किया जाएगा। जिस पर संविदा कर्मचारियों ने स्पष्ट करते हुए हड़ताल जारी रखने का रुख़ अख्तियार किया हैं। हड़तालीं कर्मचारियों ने साफ़ कहा की जब तक 4 साल का एरियर समेत 90 प्रतिशत वेतन के साथ – साथ नियमितिकरण का आदेश जारी नहीं किया जाता तो हड़ताल अनिश्चितक़ालीन तक जारी रहेगी।
देंगे सामूहिक इस्तीफ़ा – संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सरकार के वादख़िलाफ़ी को लेकर लगातार सांकेतिक आंदोलन कर पूर्व में भी चेताया था , लेकिन सरकार किसी ना किसी माध्यम से दबाव बनाकर या कोरा आश्वासन देकर हड़ताल को बंद कराने में सफल रही । लेकिन इस बार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी आर – पार के मूड में हैं । कर्मचारियो ने हड़ताल पर जाने से पूर्व मीटिंग कर तय कर लिया है , यदि ज़रूरत पड़ी तो पूरे प्रदेश के संविदा स्वस्थ्य कर्मचारी सामूहिक रूप से इस्तीफ़ा दे देंगे । लेकिन हड़ताल की वापसी तभी होगी जब नियमितिकारण समेत 5 जून 2018 की नीति सरकार लागू कर 4 साल का एरियर देगी !

चौपट हुई मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था –
15 दिसंबर से संविदा स्वस्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिससे पूरे प्रदेश कि स्वाथ्य व्यवस्था पर बुरा असर पड़ने लगा है। प्रदेश के हर ज़िले में हड़ताल के कारण अधिकारी परेशान हैं। डिलेवरी, टीकाकारण, समेत आवश्यक सुविधाओं पर भी गहरा संकट छाया हुआ है !
कोरोना काल में देवदूत बनकर लोगो की जान बचाई , अब अपने हक़ की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरे-
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी कई वर्षों से आधे से कम वेतन में काम करने को मजबूर हैं । लेकिन कोरोनाकाल में ख़ुद तथा परिवार के जान की परवाह किए बिना यह कर्मचारी लोगो की जान बचाने डटे रहे! कइयों ने अपनी तथा परिवार की जान गावाई। लेकिन आमजन की सेवा में लगे रहे ! अब वही देवदूत अपने माँगो को लेकर सड़को पर उतर गए है। जिन्हें जनप्रतिनिध भी अच्छा ख़ासा समर्थन दे रहे हैं।