हैदराबाद, माइनिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमईएआई), हैदराबाद चैप्टर ने ‘माइनिंग द मिनरल्स: वे फॉरवर्ड टुवर्ड्स आत्मनिर्भर विकसित भारत 2047’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का सफलतापूर्वक समापन किया। सम्मेलन के दूसरे दिन खनन क्षेत्र, इसकी भविष्य की नीतियों और तकनीकी प्रगति से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रभावोत्पादक विचार-विमर्श किया गया।
समापन सत्र की अध्यक्षता वि सुरेश,निदेशक (वाणिज्य) एनएमडीसी लिमिटेड ने की, जो इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे। एन. बलराम, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एससीसीएल सम्मानित अतिथि थे। उपस्थित अन्य विशिष्टजनों बी. विश्वनाथ, आईआरएसएस, मुख्य सतर्कता अधिकारी, एनएमडीसी लिमिटेड; बी. सुरेंद्र मोहन, पूर्व सीएमडी, एनएलसी इंडिया लिमिटेड; ए. के. शुक्ला, पूर्व सीएमडी, एचसीएल; और पी. के. सतपथी, पूर्व निदेशक (उत्पादन), एनएमडीसी लिमिटेड ने खनन नवाचार, सुस्थिरता और नीतिगत सुधारों पर चर्चा में योगदान दिया।
सम्मेलन के दूसरे दिन का प्रारम्भ एमएमडीआर अधिनियम के प्रभाव, रॉयल्टी संरचनाओं में संशोधन, लघु खनिजों के खनन और उद्योग के भविष्य को प्रभावित करने वाले नीतिगत सुधारों पर विशेषज्ञ चर्चाओं के साथ हुआ। प्रख्यात वक्ताओं ने नियामक ढांचे के कानूनी और आर्थिक प्रभावों और विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक हस्तक्षेपों पर महत्वपूर्ण विचार मंथन किया।
तकनीकी सत्रों में अपशिष्ट या निम्न-श्रेणी के अयस्कों से मैंगनीज और बॉक्साइट प्राप्त करने, निम्न-श्रेणी के लौह अयस्कों के अमोनिया बेनीफिसिएशन और सुस्थिर खनन पद्धतियों में प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया गया। उद्योग विशेषज्ञों ने खनिज प्रसंस्करण में दक्षता और स्थिरता लाने वाले नवाचारों पर अपने विचार साझा किए।
विनय कुमार, निदेशक (तकनीकी), एनएमडीसी लिमिटेड और अध्यक्ष, एमईएआई हैदराबाद चैप्टर ने अपनी समापन टिप्पणी में उल्लेख कहा कि, “आजहमइस उल्लेखनीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन पर यहां एकत्र हुए हैं। इस अवसर पर मैं आपके समक्ष हार्दिक रूप से कृतज्ञ एव6 आशांवित हूं। पिछले डेढ़ दिनों में, हमने गहन चर्चाएं की हैं, परिवर्तनकारी विचारों को साझा किया है, और विकसित भारत 2047 के लिए भारत के खनन क्षेत्र के भविष्य की सामूहिक रूप सेकल्पना की है।
भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष की ओर बढ़ रहा है। ऐसे समय में आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास को बढाने में खनन क्षेत्रमहत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उद्योग के अग्रणी व्यक्तित्वों ने नीतिगत सुधारों, अन्वेषण में वृद्धि, टिकाऊ खनन, डीकार्बोनाइजेशन, कौशल विकास और युवा प्रतिभा को आकर्षित करने की आवश्यकता पर जोर देकर सम्मेलन का एक मजबूत आधार बनाया। हालांकि भारतएक लंबे समय से बल्क मिनरल्स में अग्रणी रहा है, हमारा ध्यान अब महत्वपूर्ण और गौण खनिजों पर विस्तारित होना चाहिए, जहां हम कई वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से पीछे हैं। इस अंतर को दूर किए बिनावास्तविक खनिज सुरक्षा प्राप्त करना एक चुनौती बनी रहेगी।