छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्व पोला की विधानसभा अध्यक्ष महंत ने दी प्रदेश वासियों को बधाई-महंत ने कहा-किसानों को मिले बेहतर फसल एवं बनी रहे प्रदेश में समृद्धि

सकती– छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाले पोला त्योहार की प्रदेशवासियों को बधाई शुभकामनाएं दी है,डॉ. महंत ने कहा कि, पारंपरिक पर्व पोला, खरीफ फसल के द्वितीय चरण का कार्य पूरा हो जाने व फसलों के बढ़ने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन किसानों द्वारा बैलों की पूजन कर कृतज्ञता दर्शाते हुए प्रेम भाव अर्पित किया जाता है। क्योंकि बैलों के सहयोग से ही खेती कार्य किया जाता है। वही पोला पर्व की पूर्व रात्रि को गर्भ पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन अन्न माता गर्भ धारण करती है। अर्थात धान के पौधों में दूध भरता है। इसी कारण पोला के दिन किसी को भी खेतों में जाने की अनुमति नहीं होती। प्रतिष्ठित सभी देवी-देवताओं के पास जाकर विशेषपूजा-आराधना करते हैं। किसान गौमाता और बैलों को स्नान कराकर श्रृंगार करते हैं सींग और खुर यानी पैरों में माहुर, लगाएंगे, गले में घुंघरू, घंटी, कौड़ी के आभूषण पहनाकर पूजा करते है,डॉ. महंत ने बताया कि, परंपराओं अनुसार ग्रामीण इलाकों में युवतियां नंदी बैल, साहड़ा देव की प्रतिमा स्थल पर पोरा पटकने जाएंगी। नंदी बैल के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए अपने-अपने घर से लाए गए मिट्टी के खिलौने को पटककर फोड़ेंगी। मान्यता है कि, कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के यहां रहते थे, तब कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था। एक बार कंस ने पोलासुर नामक असुर को भेजा था, जिसे भी कृष्ण ने मार दिया था। वह दिन भाद्रपद अमावस्या का था इसलिए इसे पोला कहा जाता है उपरोक्त जानकारी विधानसभा अध्यक्ष डा चरणदास महन्त के प्रतिनिधी नरेश गेवाडीन ने दी है

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