कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र में धर्मांतरित व्यक्ति के शव को दफनाने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। यह विवाद उस समय हिंसक हो गया, जब ग्रामीणों ने कब्र से शव बाहर निकालने की कोशिश की। इस दौरान ईसाई समुदाय और आदिवासी समाज के लोग आमने-सामने आ गए और दोनों पक्षों के बीच जमकर झूमा-झटकी व मारपीट हुई। घटना में पुलिसकर्मी सहित कई ग्रामीणों को गंभीर चोटें आई हैं। हालात को देखते हुए प्रशासन ने गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर पूरे क्षेत्र को सील कर दिया है।
पूरा मामला आमाबेड़ा थाना क्षेत्र के बड़े तेवड़ा गांव का है। जानकारी के अनुसार, गांव के सरपंच रजमन सलाम ने कुछ वर्ष पूर्व धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्म अपना लिया था। 15 दिसंबर को उनके पिता चरमा राम सलाम का अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। इसके बाद 16 दिसंबर को सरपंच ने अपने पिता के शव को गांव में ही दफना दिया। गांव के आदिवासी समाज के लोगों ने इस पर कड़ा विरोध जताया। उनका कहना है कि गांव में वर्षों से एक परंपरा और नियम चला आ रहा है, जिसके तहत हर धर्म के लोगों के शव दफनाने या अंतिम संस्कार के लिए अलग-अलग निर्धारित स्थान तय हैं। आदिवासी समाज का आरोप है कि नियमों को दरकिनार कर सरपंच ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गांव के भीतर ही शव को दफन करा दिया, जिससे सामाजिक संतुलन और परंपराओं को ठेस पहुंची। विवाद धीरे-धीरे बढ़ता गया और ग्रामीणों ने शव को कब्र से बाहर निकालने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। ग्रामीणों का कहना था कि जब तक शव को नियमों के अनुसार निर्धारित स्थान पर नहीं ले जाया जाएगा। तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। वहीं दूसरी ओर ईसाई समुदाय के लोग इस कार्रवाई को अपने धार्मिक अधिकारों का हनन बता रहे थे।
सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों को समझाइश देने का प्रयास किया। हालांकि, बुधवार को स्थिति उस समय बेकाबू हो गई जब कुछ ग्रामीण शव को कब्र से बाहर निकालने के लिए मौके पर पहुंच गए। इसी दौरान ईसाई समुदाय के लोगों ने इसका विरोध किया और देखते ही देखते दोनों पक्षों के बीच झूमा-झटकी और मारपीट शुरू हो गई। इस हिंसक झड़प में कई ग्रामीण घायल हो गए। बीच-बचाव करने पहुंची पुलिस पर भी कुछ लोगों ने धक्का-मुक्की और पथराव किया, जिससे कुछ पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं। सभी घायलों को इलाज के लिए आमाबेड़ा स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद गांव में भय और तनाव का माहौल है। हालात को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर दी है और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए गांव को पूरी तरह सील कर दिया गया है। प्रशासन का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं आदिवासी समाज ने पुलिस-प्रशासन पर एक पक्ष को संरक्षण देने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि समय रहते प्रशासन ने सख्ती दिखाई होती तो मामला हिंसक रूप नहीं लेता। फिलहाल प्रशासन दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है और गांव में लगातार निगरानी रखी जा रही है।