भारत की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट सुरंग, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की टनल संख्या 8 के ब्रेकथ्रू समारोह

भारत की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट सुरंग, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की टनल संख्या 8 के ब्रेकथ्रू समारोह का साक्षी बनने का गौरव भारत सरकार के रेल, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री एवं क्षेत्रीय सांसद अनिल बलूनी जी को प्राप्त हुआ।

टनल संख्या 8, जिसकी लंबाई 14.58 किलोमीटर है, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की सबसे लंबी सुरंग है और यह भारत की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट सुरंग बनने जा रही है।

वर्तमान में:

सबसे लंबी रेल सुरंग: खारी और सुंबर स्टेशनों के बीच 12.75 किमी (कटरा-बनिहाल खंड, उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक)

सबसे लंबी सड़क सुरंग: अटल टनल, 9.02 किमी (मनाली-लेह राजमार्ग)

परियोजना की मुख्य विशेषताएं:

कुल लंबाई: 125.20 किमी

कुल 12 स्टेशन, 19 मेजर ब्रिज, 38 माइनर ब्रिज

83% सुरंग (104 किमी), 14.72% ओपन कटिंग एंबैंकमेंट्स (18.4 किमी), 2.21% महत्वपूर्ण पुल (3.07 किमी)

कुल 16 मुख्य सुरंगें (104 किमी), 12 एस्केप टनल (97.72 किमी) और 7.05 किमी क्रॉस पैसेज

कुल सुरंग लंबाई: 213.57 किमी

सबसे लंबी सुरंग: टनल संख्या 8 (14.58 किमी)

सबसे लंबा पुल: देवप्रयाग ब्रिज नं. 06 (स्पैन 125 मीटर)

सबसे ऊंचा पुल: गौचर ब्रिज नं. 15 (ऊंचाई 46.9 मीटर)

सबसे लंबा ब्रिज: श्रीनगर ब्रिज नं. 09 (लंबाई 0.5 किमी)

टनलिंग कार्य:

किमी 6.00 के बाद सारा ट्रैक सुरंग में है।

कुल 16 सुरंगों को 10 पैकेज में विभाजित किया गया। सभी पैकेजों की डिजाइनिंग DD&PMC कॉन्ट्रैक्ट्स द्वारा पूर्ण की गई।

सभी सुरंगों में टनलिंग कार्य एक साथ प्रारंभ किया गया।

अब तक कुल 195 किमी टनलिंग (मुख्य सुरंग, एस्केप टनल, एडिट्स और क्रॉस पैसेज) पूरी की जा चुकी है।

8 एडिट्स विभिन्न सुरंगों में बनाए गए ताकि लंबे सुरंगों को जल्दी पूरा किया जा सके।

वर्ष 2014 तक भारतीय रेल के पास कुल सुरंग लंबाई 125 किमी थी। 2014 के बाद से अब तक कुल 468.08 किमी सुरंग कार्य पूरा किया गया है, जो कि 3.7 गुना वृद्धि है।

टनल संख्या 8 में TBM का कार्य:

यह हिमालयी भूगर्भीय क्षेत्र में TBM (टनल बोरिंग मशीन) के सफल प्रयोग का पहला उदाहरण है।

TBM का सिंगल शील्ड 9.11 मीटर व्यास वाला है, जिससे 10.4 किमी खुदाई की गई।

NATM पद्धति से 4.11 किमी सुरंग बनाई गई।

पोर्टल-1 से प्रारंभिक 600 मीटर NATM द्वारा खुदाई कर TBM लॉन्च किया गया।

पोर्टल-2 (जानसू छोर) से NATM निरंतर चला।

भूगर्भीय परिस्थितियाँ:

1. भूगर्भीय संरचना:

टनल ‘चांदपुर फॉर्मेशन’ (जौनसार ग्रुप) से होकर गुजरती है।

चांदपुर फिल्लाइट (Quarzitic और Schistose फिल्लाइट, Quartzite के इंटरकलेशन सहित) प्रमुख चट्टानें हैं।

Quartz वेन्स की उपस्थिति भी पाई गई है।

2. चट्टान की प्रकृति:

संरचना: बहुत घनी से अत्यधिक घनी संयुक्त व पर्पटीदार चट्टानें।

दृढ़ता: थोड़ी से मध्यम अपक्षयित, मध्यम कमजोर से मध्यम मजबूत चट्टानें।

विविधता: टनल संरेखण में उच्च विविधता।

3. जांच की कठिनाइयाँ:

कठिन पहुंच और सीमित डेटा।

प्रारंभिक बोरहोल्स: 7 (1196 मीटर), अतिरिक्त बोरहोल्स: 2 (1077 मीटर)

4. ओवरबर्डन (ऊपरी चट्टान की मोटाई):

अधिकतम: 800 मीटर (लगभग 1 किमी), न्यूनतम: 70 मीटर

5. टनल व्यवहार:

उच्च स्तर का “स्क्वीजिंग” व्यवहार, विशेषकर अधिक ओवरबर्डन और कमजोर चट्टानों के कारण।

TBM टनल निर्माण की प्रमुख चुनौतियाँ:

1. भूगर्भीय जटिलताएँ:

विभिन्न गुणवत्ता की चट्टानें (कमजोर, मध्यम, कठोर), 20% मार्ग में स्क्वीजिंग स्थिति।

गहरी भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र और विकृतियाँ।

2. TBM संचालन:

बिना रुके कार्य करना, सतत भूगर्भीय परीक्षण जारी रखना।

स्क्वीजिंग ज़ोन में फँसने का खतरा।

प्रणाली की उच्च विश्वसनीयता की आवश्यकता।

3. जल रिसाव:

दो प्रमुख क्षेत्रों में अधिकतम 2000 लीटर प्रति मिनट का जल प्रवाह।

उपकरण, सुरक्षा और प्रगति पर प्रभाव।

4. अन्य चुनौतियाँ:

सामग्री और सेगमेंट्स की निर्बाध आपूर्ति, मानसून और यात्रा सीजन की दिक्कतें।

11 किमी लंबा ग्राउट पाइपलाइन सिस्टम, विभिन्न मिक्स डिज़ाइनों की आवश्यकता।

समानांतर निर्माण गतिविधियाँ जैसे क्रॉस पैसेज, टनल खुदाई, TBM संचालन।

रेल पुल निर्माण की स्थिति:

कुल 19 मेजर ब्रिज, 5 महत्वपूर्ण, 38 माइनर ब्रिज

3 महत्वपूर्ण पुल: 1 गंगा जी पर, 1 चंद्रभागा जी पर, 3 अलकनंदा जी पर

08 मेजर ब्रिज पूर्ण, 3 महत्वपूर्ण पुल (1 चंद्रभागा जी पर, 2 अलकनंदा जी पर) पूर्ण

ऋषिकेश में 1 ROB और 1 RUB पूर्ण

गौचर, श्रीनगर और सिवाई में 3 प्रमुख रोड ब्रिज कार्य पूर्ण

शेष 11 ब्रिजों का कार्य उन्नत चरण में है।

परियोजना की प्रगति और लक्ष्य:

विरभद्र-योगनगरी ऋषिकेश खंड 20.03.2020 को चालू किया गया।

टनलिंग कार्य 2026-27 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य।

ट्रैक, विद्युत, ओएचई और सिग्नल व दूरसंचार कार्य शीघ्र प्रारंभ होंगे ।

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