बालोद। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कारों का वितरण किया गया। राष्ट्रपति भवन में बुधवार को एक विशेष कार्यक्रम के तहत पद्म पुरस्कार का वितरण किया गया। इस क्रम में बालोद जिले के ग्राम लाटाबोड़ निवासी डोमार सिंह कुंवर ने कला लोक नृत्य में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पद्म श्री प्राप्त किया। उल्लेखनीय हो कि बालोद ब्लॉक के ग्राम लाटाबोड़ निवासी नाचा के दिग्गज कलाकार डोमार सिंह कुंवर को पद्मश्री पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद क्षेत्र सहित जिले में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। गांव के ग्रामीणों ने खूब आतिशबाजी कर पटाखे फोड़े थे। उस दिन से लगातार डोमार सिंह के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। इसके साथ ही इस उपलब्धि पर सीएम भूपेश बघेल ने भी ट्वीट कर डोमार सिंह कुंवर को बधाई दी थी। बीते 26 जनवरी को मंत्री अनिला भेड़ियाँ ने भी मंच से डोमार सिंह कुंवर का सम्मान किया था। आपको बता दें कि जिले में इससे पूर्व समाज सेविका शमसाद बेंगम भी सामाजिक कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।
बतौर निर्देशन सुल्ताना डाकू की शुरुआत-
स्वर्गीय मुरलीधर यादव को अपना गुरु मानने वाले किसान डोमार सिंह कुंवर नृत्य कला के साधक एवं मशहूर कलाकार है। इनका जन्म 13 जनवरी 1947 को ग्राम लाटाबोड़ में हुआ। इन्होंने देश से लेकर विदेशों तक ख्याति प्राप्त की है। डोमार सिंह ने नई दुनिया से चर्चा में बताया कि वे 1959 यानि 10 साल की उम्र में ही मंच पर उतर गए थे। छत्तीसगढ़ी हास्य गम्मत नाचा कला को कई वर्षों से परी और डाकू सुल्तान की भूमिका निभाकर जिंदा रखे हुए है। इस 76 साल की उम्र में डोमार सिंह ने नाचा गम्मत को न सिर्फ जिया है, बल्कि अपने स्कूल से लेकर दिल्ली के मंच पर मंचन किया है। 21 जनवरी 1966 को बतौर निर्देशन नाचा मंडली मयारू मोर लाटाबोड़ लोक नाचा (सुल्ताना डाकू) की शुरुआत की। जो अनवरत तक जारी हैं। रवेली नाचा पार्टी, धमना नाचा पार्टी, लोक मंजरी जैसे दर्जनों नाचा पार्टियों से जुड़ाव रहा है।
कई जनकल्याणकारी कार्यक्रम का हिस्सा बन उसे बनाया सफल-
डोमार सिंह ने चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने कई महान हस्तियों जैसे दाऊ महासिंह चंद्राकर, दाऊ रामचंद्र देशमुख, दाऊ दुलार सिंह साव, प्रदीप शर्मा, मनीष मानिकपुरी, मोना सेन, करण खान, अनुराधा दुबे, रामलाल और भी कई जाने माने लोक कला एवं फिल्म कलाकारों के सानिध्य में अभिनय करने का अवसर प्राप्त हुआ है। नाचा गम्मत के अलावा धार्मिक, सामाजिक, राष्ट्रीय साक्षरता सहित कई जनकल्याणकारी कार्यक्रम का हिस्सा बने। छत्तीसगढ़ी फिल्म मन के बात मन में रहिगे के निर्माता रहे। इसके साथ ही महिला सरपंच, चंपा चमेली, मजाक होंगे महंगा, लाली के मया, बाल विवाह, सोन चिरई जैसे और भी एल्बम में अभिनय कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ माटी पुत्र सम्मान, लोक कला महोत्सव, कला और नाट्य समता अवार्ड, डा. भीमराव अंबेडकर गौरव सम्मान सहित अब तक कुल 73 अंतरराष्ट्रीय मंच पर उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं।