रायपुर। अमित जोगी ने शासन के लिए धमकी भरा ट्वीट किया है, जिसमें अमित जोगी ने लिखा है कि मैं नहीं चाहता हूँ कि मेरे पिता स्वर्गीय श्री अजीत जोगी जी की मूर्ति स्थापना को लेकर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (@GPM_DIST_CG) जिला में बलौदा बाज़ार- जिसमें जिले के कलेक्ट्रेट की प्रशासनिक चूक के कारण आगजनी हुई और सैकड़ों निर्दोषों को कई महीने सलाखों के पीछे रहने में मजबूर कर दिया है- जैसा हादसा हो। इसलिए मैं शासन से अपील करता हूँ कि 25 जून 2025 के पहले वो एक “शांति सभा” का तत्काल आयोजन करें, जिसमें जिले के सभी संप्रदाय, समाज, समुदाय एवं राजनीतिक दलों के नेताओं को सम्मिलित किया जाए।
अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो न केवल GPM जिले में बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में विस्फोटक स्थिति बन सकती है। इसकी सम्पूर्ण जवाबदारी राज्य शासन की होगी। जोगी जी ने GPM जिले में सबकी मदद की। उन्होंने कभी यह नहीं देखा कि वे भाजपाई हैं या कांग्रेसी। उन्होंने GPM जिले के हर एक निवासी को न केवल अपना परिवार माना बल्कि ख़ुद को उनके “कमिया”- बिना वेतन का सेवक- के रूप में स्वीकारा। उनकी अटूट मान्यता थी कि जीवन में उन्हें जो भी मिला, वो सब उन्होंने “माँ नर्मदा” की इस पावन धरती- जिसे वे “नर्मदांचल जिला” का नाम देना चाहते थे- के अपूर आशीर्वाद के कारण ही प्राप्त किया। २००० से २०२४ तक जोगी परिवार के प्रतिनिधित्व के रहते ही GPM छत्तीसगढ़ की “अनौपचारिक राजधानी” बन चुकी थी। केवल यह कहने से कि “मैं कोटा या मरवाही विधान सभा से हूँ”, सभी मंत्री, अधिकारी और कर्मचारी नतमस्तक हो जाते थे। कोई काम, चाहे कितना भी बढ़ा या मुश्किल हो, नहीं रुकता था। आज की स्थिति ठीक विपरीत है। GPM के लोगों को न कोई सुन रहा है और न ही पूछ रहा है; केवल और केवल उनको लूट रहा है।
२५ मई २०२५ की रात जिन दो लोगों ने नशे में धुत होकर “पटियाला हाउस” में उनकी ज्योतिपुर तिराहा में स्थापित मूर्ति की चोरी की जुर्रत की थी, दोनों छत्तीसगढ़ के मूल निवासी नहीं है। दोनों बाहरी हैं। शायद यही कारण है कि वे स्वर्गीय जोगी जी की विचारधारा को ठीक से समझ नहीं पाए और ऐसी घिनौनी हरकत को अंजाम दिया। किंतु पापा की इसी वैदिक “सर्वधर्म सम्भाव” सोच के अनुरूप मैंने दोनों को माफ कर दिया है, इस उम्मीद के साथ कि जब वे जोगी जी की आत्मकथा “सपनों का सौदागर”- जिसे मैंने उन्हें भेंट स्वरूप कोरियर की है- को पढ़ लेंगे, तो जोगी जी की को समझ जायेंगे और ख़ुद ही जोगी जी की उनके द्वारा रात के अँधेरे में चुराई गई प्रतिमा को सहर्ष फिर से २५ जून २०२५ को दिन के उजाले में स्थापित करेंगे।