लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार के आरोप, एक EE और दो SDO निलंबित

रायपुर। छत्तीसगढ़ के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए तीन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन में शामिल हैं एक कार्यपालन अभियंता (ईई) और दो उपसंभागीय अधिकारी (एसडीओ)। राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत यह कदम भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के प्रति सख्त संदेश माना जा रहा है। विवेचना के अनुसार, बीजापुर जिले के नेलसनार-कोडोली-मिरतुल-गंगालुर मार्ग के निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। इस मामले में गंगालूर थाना में अपराध पंजीबद्ध किया गया और जांच के दौरान लोक निर्माण विभाग के संभाग सुकमा के कार्यपालन अभियंता हरनारायण पात्र, उपसंभाग क्रमांक-1 बीजापुर के उपसंभागीय अधिकारी प्रमोद सिंह तंवर, और सेतु उपसंभाग जगदलपुर के उपसंभागीय अधिकारी संतोष दास की संलिप्तता सामने आई।

उपमुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री अरुण साव के अनुमोदन के बाद विभाग ने आज मंत्रालय से तीनों अधिकारियों के तत्काल निलंबन आदेश जारी किए। निलंबन अवधि में इन अधिकारियों का मुख्यालय प्रमुख अभियंता कार्यालय, नवा रायपुर निर्धारित किया गया है। हालांकि, निलंबन अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता जारी रहेगी। विभाग सूत्रों ने बताया कि निलंबन की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के प्रति शासन की शून्य सहनशीलता नीति को दर्शाती है। अधिकारियों पर आरोप हैं कि उन्होंने निर्माण कार्यों में गड़बड़ी, भुगतान में अनियमितता और गुणवत्ता की अनदेखी की। इससे न केवल सरकारी धन की हानि हुई, बल्कि परियोजनाओं की समयबद्धता और गुणवत्ता पर भी गंभीर असर पड़ा।

लोक निर्माण विभाग ने यह स्पष्ट किया कि निलंबन अवधि के दौरान संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विस्तृत जांच जारी रहेगी। जांच में दोष सिद्ध होने पर विभाग अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ-साथ कानूनी प्रावधानों के तहत भी कार्रवाई करेगा। विभाग का यह कदम अन्य अधिकारियों के लिए भी चेतावनी का संदेश है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग में समय-समय पर इस तरह की कार्रवाई भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को रोकने और परियोजनाओं की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करती है। बीजापुर मार्ग परियोजना के मामले ने स्पष्ट कर दिया कि सख्त निगरानी और जिम्मेदार अधिकारियों की मौजूदगी जरूरी है। इस कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि राज्य शासन सार्वजनिक धन और परियोजनाओं की पारदर्शिता के प्रति गंभीर है। निलंबन के आदेश ने विभाग में और व्यापक स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है।

शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *