किरन्दुल- लौहनगरी किरंदुल के बुद्ध विहार में तीन दिवसीय निःशुल्क विपशना शिविर एवम चिकित्सा परामर्श का आयोजन बौद्ध समाज विकास समिति के द्वारा किया गया। शिविर में प्रशिक्षण नागपुर से पहुंचे विपशनाचारी जनार्दन राम के मार्गदर्शन में दिया गया।विपशनाचारी के द्वारा सभी को ध्यान साधना के द्वारा अपनी अपनी सांस पर ध्यान को केंद्रित कर अपने आप को परखने एवम समझने के लिए के लिए प्रेरित किया गया। जिसके माध्यम से बिना किसी का सहारा लिए अपने भीतर के चित्त को जान सके।इस प्रक्रिया को आना पान सती कहा जाता है।भगवान बुद्ध के द्वारा सर्वप्रथम इस प्रक्रिया को अपनाया गया। इसी के द्वारा भगवान बुद्ध ने संपूर्ण विश्व को अतः दीप भव का मंत्र दिया।जिसका हिंदी में अनुवाद स्वयं का उद्धार स्वयं ही करो होता है। भगवान बुद्ध के मार्ग के अनुसार जब तक चित्त और मन की शुद्धि नही होती तब तक मानसिक तनाव और अन्य बीमारियां शरीर में विकसित होती रहेगी। इसी मार्ग पर चलने एवम अपनाने हेतु शिविर का आयोजन किया गया।इस शिविर में महिलाओं एवम बच्चो ने अधिक संख्या में भाग लिया।शिविर के अंतिम दिन आज विपशनाचारी को समिति के द्वारा पुष्पगुच्छ और शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया।