मढ़ी में आयोजित भागवत कथा के अंतिम दिन बड़ी संख्या में पहुंचे रसिक श्रोता

तिल्दा नेवरा ठाकुरदेव चौक मढ़ी में समस्त मोहल्ला वासियों की ओर से आयोजित हो रही संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के विश्राम दिवस पर शुक्रवार को कथावाचिका भागवत मर्मज्ञा पूज्या श्रद्वा दीदी सिमगा वाली ने कथा प्रसंग में पवित्र व्यास गद्दी से गीता प्रवचन, यज्ञ हवन, व्यास एवं देव विदाई पर व्याख्यान दिया। कहा कि, जो ज्ञान हदय में स्थिर रहे वही गीता है। जो अपना धर्म समझ गया वह गीता को समझ गया। मानव का अपना धर्म है। मानव को अपना धर्म कभी नहीं भूलना चाहिए। भागवत कथा के अंतिम दिन गीता प्रवचन, तुलसी वर्षा, यज्ञ हवन, कपिल तर्पण के साथ ही आम भंडारा में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे। इसी तरह अनुष्ठान में भी लोगों ने सहभागिता निभाई। कपिल तर्पण के सतधरा जल से उपस्थित जन समूह को पंडित जी ने छिड़काव किया। कथा व्यास ने हवन पूर्णाहुति में पहुंचकर यज्ञ नारायण भगवान को प्रमाण किया। भावविभोर का वह क्षण भी आया जब कथावाचिका जी ने आभार व्यक्त करते हुए आयोजन के लिए सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि जब भी यहां कोई प्रवचनकर्ता, साधुसंत पहुंचे तो उनका भी वैसा ही स्वागत सम्मान करना जैसा उनका किए हैं। कथा व्यास ने कहा कि, वैभव प्राप्त करना है तो अपने जीवन में प्रभु भक्ति को विराजित करना होगा। हवन-पूजन के बाद भागवत भगवान के भंडारा में हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान लोग महाप्रसादी लेने कथा स्थल पहुंचते रहे। इस विशाल आयोजन में लोग स्वतः ही भंडारा में अपनी सहभागिता निभा रहे थे। अंतिम दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया और शाम चार बजे भगवान भागवत भाष्कर की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। जिसमें, बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कथा व्यास ने कहा कि, यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बड़ा धन है। उन्होंने कहा कि भगवान पर विश्वास और भरोसा मजबूत होना चाहिए। जो भी भक्त ईश्वर पर आस्था और विश्वास करता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है। उन्होंने आगे बताया कि, जो व्यक्ति संस्कार युक्त जीवन जीता है वह जीवन में कभी कष्ट नहीं पा सकता। व्यक्ति के दैनिक दिनचर्या के संबंध में उन्होंने कहा कि ब्रह्म मुहूर्त में उठना, दैनिक कार्यो से निवृत होकर यज्ञ करना, तर्पण करना, प्रतिदिन गाय को रोटी देने के बाद स्वयं भोजन करने वाले व्यक्ति पर ईश्वर सदैव प्रसन्न रहते हैं। कथा श्रवण करने बड़ी संख्या में रसिक श्रोतागण कथा पंडाल पहुंच धर्म लाभ अर्जित कर रहे थे। 23 से 31 जनवरी तक चली भागवत कथा में गांव सहित आसपास गांव से भी बड़ी संख्या में रसिक श्रोता पहुंच रहे थे। परायणकर्ता पंडित राहुल तिवारी पंडरिया वाले थे।

शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *