सिंहदेव अभी जिंदा हैं
2018 में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री की रेस में भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, डॉ. चरणदास महंत रहे। लेकिन रेस के विजेता भूपेश बघेल बनकर सामने आये। कहते हैं ताम्रध्वज साहू का नाम चीफ मिनिस्टर के लिए फाइनल हो चुका था, तब टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल अड़ गए कि सीएम उन में से किसी एक को बनाया जाए। अन्तत: कहा जाता है कि यह फार्मूला तय हुआ कि आधा कार्यकाल भूपेश बघेल सम्भालेंगे आधा कार्यकाल टीएस सिंहदेव का होगा। जो मीडिया में कथित तौर पर ढाई-ढाई साल के सीएम फार्मूला के रुप में उभरकर आया। ढाई साल का समय बीत गया अब यह फार्मूला पूरी तरह से दफन हो चुका है। लेकिन सिंहदेव अभी भी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में मन से पीछे नहीं हटे। विगत चार साल के घटनाक्रम में हतास सिंहदेव निराशा के भाव से ही सही लेकिन सीएम पद की दावेदारी करते नजर आते हैं। ढाई साल में सिंहदेव सीएम की कुर्सी हासिल जरुर नहीं कर पाये, लेकिन समय-समय पर वह अपने बयानों से सुर्खियों में बने रहे। मीडिया के माध्यम से वह आलाकमान तक अपनी बातें पहुंचाते रहे। अब छत्तीसगढ में इसी साल फिर विधानसभा चुनाव होने हैं जाहिर सी बात है सिंहदेव के अन्दर अब भी आस बची हुई है। वह एक बार फिर अपने बयानों की वजह से लगातार सुर्खियों में हैं। राजनीतिक माइनों में यह कहा जा रहा है कि सिंहदेव अभी जिंदा हैं। इसका उदाहरण 13 अप्रैल प्रियंका गांधी के बस्तर प्रवास के दौरान देखने को मिला, कांग्रेस कमेटी द्वारा जारी विज्ञापन में सिंहदेव को प्राथमिकता दी गई। विज्ञापन के शीर्ष में 3 राष्ट्रीय नेताओं सर्वप्रथम मल्लिकार्जुन खडगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी उसके पाश्चात् प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा फिर टीएस सिंहदेव को स्थान दिया गया।
मरकाम को हटाने की कवायत विफल?
छत्तीसगढ में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना तकरीबन 6 माह में जारी होगी। चुनावी लिहाज से उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है। चुनाव के नजदीक आते ही संगठन के पदाधिकारियों की पूछ-परख बढ़ जाती है। लिहाजा अब मरकाम को हटाने की कवायद जोरों से चल रही है जो विफल होते नजर आ रही हैं ? कुछ दिन पहले बस्तर से युवा सांसद दीपक बैज को दिल्ली तलब किया गया तो छत्तीसगढ़ की राजनीतिक गलियारों में चहल-पहल चालू हो गई। मीडिया में बैज के पीसीसी चीफ बनने की खबरें तैरने लगीं। वहीं दूसरी ओर टीएस सिंहदेव की राजनीति को परमानेन्ट खत्म करने के लिए उनके ही क्षेत्र से एक आदिवासी मंत्री की दावेदारी को आगे किया गया। राजनीतिक सरगर्मी के बीच आलाकमान ने मामले को पेंडिंग में डाल दिया। अब एक बार फिर से मरकॉम को बदलने की खबरें तैरने लगी हैं। इस बार पीसीसी चीफ के लिए उम्रदराज विधायक रामपुकार सिंह का नाम भी सामने आया है। हालांकि रामपुकार सिंह ने 2018 में जनता के समक्ष यह कहकर वोट मांगे थे कि यह उनका अंतिम चुनाव है। बहरहाल कांग्रेस में जो नाम पीसीसी चीफ के लिए उभरकर सामने आ रहे हैं उनका मूल्याकंन किया जा रहा है। इस बीच विधानसभा चुनाव को लेकर समय की चकरी उल्टा घूमना शुरु कर दी है। कहा जा रहा है कि नियुक्ति में हुई देरी का फायदा मरकाम को मिल सकता है।
रिजर्व सीट में हुए सवार संजय शुक्ला
पीसीसीएफ संजय शुक्ला को आखिर रेरा का चेयरमेन नियुक्त कर ही दिया गया। हालांकि संजय की सवारी के लिए सीट पहले से ही रिजर्व थी। इसलिए इनकी नियुक्ति को लेकर कोई नयापन नहीं है। आईएफएस संजय शुक्ला रेरा के दूसरे चेयरमेन हों गे। इससे पहले रिटायर्ड आईएएस, छत्तीसगढ के चीफ सेके्रटरी रहे विवेक ढांड रेरा के प्रथम चेयरमेन के रुप में दायित्व संभाला था। विवेक ढांड के रिटायर होने से पूर्व ही मीडिया में खबरें तैरती रहीं कि संजय शुक्ला ही रेरा के चेयरमेन बनेंगे। जिसमें 21 अप्रैल को मुहर लगा दी गई। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि शुक्ला रिजर्व सीट में सवार हो गये।
ढोर-डंगरो के हाकिम चला रहे विभाग
राज्य के वन विभाग में इन दिनों कुछ अजीब ही खबर सुनने को मिल रही हंै। कहते हैं कि ढोर-डंगरो के हकीम राज्य का वाइल्ड लाइफ चला रहे हैं। गद्दी सम्भाल रहे मुखिया बिना इनके इशारे के एक पग नहीं रखते। ढोर-डंगरो के इलाज में रुचि न रखने वाले इस अफसर की पोस्टिंग वन विभाग में कर दी गई। अब साहब ने विभाग के अफसरों का ही हक डकारने का प्लान बनाया है और खुद के लिए आईएफएस आवार्ड की भी मांग करना शुरु कर दी है। हालांकि डंगरो के हकीम का यह कोई नया पैतरा नहीं हैं। इसके पूर्व भी इनके कारनामों की फाइलें मंत्रालय और एसीबी में धूल खा रही हैं।
श्रीनिवास राव, अनिल साहू जल्द बनेगें पीसीसीएफ?
अकबर के नौ रत्नों में से एक श्रीनिवास राव को पीसीसीएफ बनाने की कवायद शुरु हो गई है। हेड ऑफ फारेस्ट संजय शुक्ला 31 मई को रिटायर होगें। रिटायरमेन्ट के पहले ही उन्हे रेरा का चेयरमेन नियुक्त कर दिया गया है। जैसे ही शुक्ला रेरा ज्वाइन करेगें। पीसीसीएफ का एक पद रिक्त हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर आशीष भट्ट को रेरा का मेम्बर बनाया जा सकता है। भट्ट के रेरा में जाने के बाद पीसीसीएफ के दो पद रिक्त हो जाएगें जिसमें अनिल साहू तथा श्रीनिवास राव के लिए जल्द से जल्द डीपीसी की जा जाएगी। यह माना जा रहा है कि मई माह में ही राव और अनिल साहू पीसीसीएफ प्रमोट हो जाएगें।
जुनेजा होंगे रिटायर, अगला डीजीपी कौन?
डीजीपी अशोक जुनेजा जून माह में रिटायर हो जाएंगे। उनके स्थान में किसे छत्तीसगढ़ का नया डीजीपी बनाया जाएगा इसकी चर्चा इन दिनो जोरों पर है। जानकारों का कहना है कि डीजीपी अशोक जुनेजा को चुनाव तक एक्सटेंशन मिल सकता है। हालांकि इसको लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर सीनियरटी के मुताबिक राजेश मिश्रा को डीजीपी की कमान सौपी जा सकती है। हालांकि केन्द्र में सेवा दे रहे छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस स्वागत दास और रवि सिन्हा भी डीजीपी पद के दावेदार हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने नवम्बर 2021 में जुनेजा को राज्य का प्रभारी डीजीपी बनाया था। केन्द्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद उन्हें अगस्त 2022 में पूर्णकालिक डीजीपी बनाया गया। जुनेजा रिटायर होने की तिथि तक अपना दो साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सकेगें। इस लिहाज से यह कयास लगाया जा रहा है कि उन्हें चुनाव तक एक्सटेंशन मिल सकता है।
बडी कार्रवाई करने की तैयारी में ईडी
छत्तीसगढ में ईडी एक बार फिर बडी कार्रवाई करने की तैयारी में है। ईडी की जद में आये अफसर इन दिनों काफी परेशान हैं। ईडी लगातार समन पर समन जारी कर रही है। एक अफसर ने ईडी की जांच में सहयोग करने की बात कही जिसके कारण ईडी ने उन्हें हिरासत में नहीं लिया। अब ईडी लगातार समन जारी कर उनसे पूछताछ करना चाहती है जिसमें वह उपस्थित नहीं हो रहे। जिसको लेकर ईडी ने चीफ सेके्रटरी को पत्र लिखा है। वहीं दूसरी ओर ईडी की कार्रवाई के खिलाफ लगी सभी याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस दरम्यान ईडी दस्तावेजों को और पुख्ता करके अधिकारियों के बयान दर्ज करनें की कार्रवाई कर रही है। सूत्र बताते हैं कि एक विभाग के 35 अफसरों को ईडी ने समन भेजा है। समन देखकर जादातर अफसर छुट्टियों का ओवदन लगा दिया है।
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