राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर राष्ट्रपति कोविंद का संबोधन

नई दिल्ली: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि मानवाधिकार दिवस सभी को यह सोचने का अवसर प्रदान करता है कि एक इंसान होने का क्या मतलब है और मानवता की बुनियादी गरिमा को बढ़ावा देने में हमारी जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज नई दिल्ली में मानवाधिकार दिवस के कार्यक्रमों में बोलते हुए कहा कि हमारे अधिकार एक साझा कर्तव्य हैं और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा उन अधिकारों और स्वतंत्रताओं का एक समूह है, जिनका हर इंसान हकदार है। इस वर्ष के मानवाधिकार दिवस की थीम ‘समानता’ है।
राष्ट्रपति ने कहा “मानवीय गरिमा के लिए पूर्ण सम्मान के लिए मौलिक मानदंड भेदभाव की अनुपस्थिति है, दुनिया पूर्वाग्रहों से त्रस्त है। दुख की बात है कि वे व्यक्तियों की पूर्ण क्षमता में बाधा डालते हैं और परिणामस्वरूप, समग्र रूप से समाज के सर्वोत्तम हित में नहीं हैं। मानवाधिकार दिवस हमारे लिए एक साथ सोचने का एक उत्कृष्ट अवसर है कि मानवता की प्रगति में बाधा डालने वाले पूर्वाग्रहों को कैसे मिटाया जाए।”
इस दिन, दुनिया को राष्ट्रपति के अनुसार ‘स्वस्थ पर्यावरण और जलवायु न्याय के अधिकार’ पर भी बहस और चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा “प्रकृति की गिरावट अपरिवर्तनीय जलवायु परिवर्तन का कारण बन रही है, और हम पहले से ही परिणाम देख रहे हैं। दुनिया अप्रिय वास्तविकता के प्रति जाग रही है, लेकिन अभी भी महत्वपूर्ण परिवर्तन करने के लिए इच्छाशक्ति जुटानी है। प्रकृति मां की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है हमारे बच्चों की खातिर औद्योगीकरण के सबसे बुरे प्रभावों से हमें हमारे कल को सुरक्षित करना है।”

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