रायपुर। छत्तीसगढ़ में हाल ही में घोषित हुई पुलिस भर्ती के परिणामों को लेकर विरोध तेज हो गया है। चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाते हुए गुरुवार को प्रदेशभर से आए सैकड़ों अभ्यर्थी बिलासपुर हाईकोर्ट पहुंच गए। अभ्यर्थियों ने वहां सामूहिक रूप से याचिकाएं दायर करते हुए भर्ती प्रक्रिया की न्यायिक जांच की मांग की है। अभ्यर्थियों का कहना है कि घोषित नतीजों में कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। उनका आरोप है कि समान कैटेगिरी में कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को चयनित किया गया है, जबकि अधिक अंक पाने वाले कई अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया है। यह स्थिति कई जिलों में देखने को मिली है, जिससे चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा अभ्यर्थियों ने एक और बड़ी अनियमितता का दावा किया है।
उनका कहना है कि एक ही जिले में कुछ अभ्यर्थियों के नाम सामान्य वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) दोनों की प्रतीक्षा सूची में शामिल कर दिए गए हैं। यह स्थिति नियमों के खिलाफ है और प्रक्रिया की गंभीर त्रुटि को दर्शाती है। उनका आरोप है कि मेरिट लिस्ट तैयार करने में तकनीकी और प्रशासनिक लापरवाही बरती गई है। अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में आग्रह किया है कि जब तक चयन प्रक्रिया की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक नियुक्ति आदेश जारी न किए जाएं। उनका कहना है कि यदि नियुक्ति जारी कर दी गई तो इससे योग्य
अभ्यर्थियों के भविष्य पर असर पड़ेगा, और बाद में सुधार या पुनर्विचार बेहद कठिन हो जाएगा। इस मामले को लेकर अभ्यर्थियों में भारी आक्रोश देखने को मिला। कई उम्मीदवारों ने कहा कि वे महीनों से भर्ती की तैयारी में लगे थे, फिजिकल, लिखित परीक्षा और दस्तावेज़ सत्यापन तक की प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं, लेकिन परिणामों में इस तरह की असंगतियां सामने आने से वे स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अभ्यर्थियों की याचिका पर अब हाईकोर्ट में सुनवाई की तैयारी है, और अनुमान है कि आने वाले दिनों में कोर्ट इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण निर्देश दे सकता है। मामले के बढ़ते विवाद को देखते हुए राज्य पुलिस मुख्यालय और भर्ती बोर्ड भी दबाव में आ सकता है और अपनी ओर से स्पष्टीकरण देना पड़ सकता है।