कठिया – पचरी में प्रस्तावित मंगलम लाइमस्टोन माइनिंग की जनसुनवाई पर जनप्रतिनिधि व प्रबंधन कटघरे में 

जनसुनवाई गाइडलाइंस की उड़ी धज्जियां, ग्रामीण बेखबर।

तिल्दा-नेवरा। रायपुर जिला , तिल्दा तहसील क्षेत्रांतर्गत प्रस्तावित लाइमस्टोन माइनिंग को लेकर आहूत जनसुनवाई एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है । क्षेत्रवासियों का कहना है कि जनसुनवाई के संबंध में ग्रामवासियों को कोई सूचना नहीं दिया गया है , उन्होंने संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व उद्योग प्रबंधन पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि इनकी मिलिभगत के चलते ग्रामीणों के साथ विश्वासघात हुआ है। ग्रामीणों को विश्वास में लिए बगैर जनसुनवाई की गई है ,जिसका ग्रामीणों ने बड़ा विरोध किया है । वहीं पर कुछ ग्रामीणों को प्रलोभन दिये जाने की बात भी सामने आ रही है । ग्राम कठिया -पचरी में प्रस्तावित मेसर्स मंगलम सीमेंट लिमिटेड के अधीन 323.332 हेक्टेयर प्रस्तावित लाइमस्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट क्षमता 32086908 टन वर्ष के पर्यावरण स्वीकृति बावत जनसुनवाई प्रोजेक्ट स्थल से चार किलोमीटर की दूरी ग्राम पंचायत आलेसुर में आहूत की गई थी । इस पर्यावरण जनसुनवाई को लेकर प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणो में काफी नाराजगी देखी जा रही है वहीं पर उन्होंने संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच पर भी बड़ा आरोप लगाया है ,उनका कहना है कि सरपंच व उद्योग प्रबंधन के मिलिभगत से ग्रामीणों के साथ छल किया गया है । जानकारी के अनुसार प्रस्तावित प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरण जनसुनवाई पिछले दो बार स्थगित हो चुका है ,इस स्थगन को ग्रामीणों का बडा विरोध से जोड़ा जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने यह भी कहा कि पर्यावरण जनसुनवाई को प्रोजेक्ट स्थल से चार किलोमीटर की दुरी अन्य ग्राम में आयोजित कर ग्रामीणों से दुरी बनाया गया है ,ताकि ग्रामीण विरोध ना कर सके , उद्योग प्रबंधन पर बड़ा आरोप लगाते हुए ग्रामीणो ने यह भी कहा है कि जनप्रतिनिधियों के साथ उद्योग प्रबंधन साठ गांठ कर एक कुचक्र रचा गया और गुपचुप तरीके से पर्यावरण जनसुनवाई संपन्न की गई ,लिहाजा पर्यावरण जनसुनवाई में प्रभावित पंचायत के एक चौथाई हिस्सा आबादी की उपस्थिति नहीं रही ।वहीं ग्राम आलेसुर जहां की भूमि पर जनसुनवाई किया गया ,वहा के जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों ने पर्यावरण जनसुनवाई में प्रोजेक्ट का बडा विरोध किया है ,उनका कहना है कि लाइमस्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट से क्षेत्र प्रदुषित होगा ,उनका कहना है कि जहां जहां पर लाइमस्टोन माइनिंग का संचालन हो रहा है वहां के रहवासियों की दुर्गति किसी से छिपी नहीं है । स्थानीय बेरोजगार की संभावना तराशना बेमानी होगी । गौरतलब हो कि पर्यावरण जनसुनवाई के चार दिन पूर्व पत्रकारों के टीम ने प्रभावित ग्रामीणों से मुखातिब हुआ ,इस दरम्यान ग्रामीणों ने नियत तिथि की जनसुनवाई को लेकर सवाल दागने लगे , ग्रामीणों व पंचो ने कहा कि पर्यावरण जनसुनवाई की जानकारी पत्रकारों के जुबांन से सुन रहे हैं ,हमें तो यहां पर कथित प्रोजेक्ट को लेकर अब तक कोई जानकारी उपलब्ध नही‌ हुआ है ।वहीं पर ग्राम पंचायत पचरी के सरपंच ने दो टूक में कहा था कि लाइमस्टोन माइनिंग से क्षेत्र का विनाश होगा ,इस प्रोजेक्ट से ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार की संभावना तराशना बेमानी होगी ,बल्कि इसके विपरित इस प्रोजेक्ट से प्रतिकुल प्रभाव पडेगा , उन्होंने दो टूक में कहा था कि यह क्षेत्र पर्यावरण के दृष्टि से अनुकुल है ,इसे गर्त में नहीं जाने देंगे , उन्होंने यह भी कहा कि इसके पूर्व नलवा स्पंज उद्योग का हमने पुरजोर विरोध किया था ,और इसका भी करेंगे , लेकिन पर्यावरण जनसुनवाई के दौरान सरपंच पर गिरगिट के रंग देखने को मिला , उन्होंने प्रोजेक्ट का समर्थन किया ,जिसके चलते ग्रामीणों में सरपंच के प्रति नाराजगी देखी गई । जब इस मामले पर सरपंच से वहीं पत्रकारों ने सवाल दागा ,तो थोड़ी देर के लिए वह स्तब्ध रहा , उन्होंने कहा कि मैंने व्यक्तिगत रूप से प्रोजेक्ट का समर्थन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि तीन दिन पहले पंचायत क्षेत्र के ग्रामीणो ने सहमति देने की विचा जयर व्यक्त किया था ,जबकि इस तथ्य को ग्रामीण झुठा करार दिया है ।

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