बिलासपुर। सालों से दबा एक फर्जीवाड़ा तब उजागर हुआ जब एक युवक के सरकारी नौकरी के दस्तावेज सत्यापन में उसकी असली 8वीं की मार्कशीट सामने आ गई। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सरकंडा में साल 2006 में फेल हुए छात्र के अंक व्हाइटनर से बदलकर उसे पास दिखाया था और स्कूल के रिकार्ड भी उसी हिसाब से दर्ज कर दिए गए थे, ताकि सच कभी बाहर न आए। अब 19 साल बाद जब मूल रिकॉर्ड मिलान हुआ तो पता चला कि छात्र पूरक परीक्षा में भी शामिल नहीं हुआ था और पूरा खेल स्कूल की मिलीभगत से रचा गया था। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सरकंडा में तब छात्र रवि कुमार यादव ने कक्षा आठवीं की परीक्षा दिलाई थी।
इस दौरान वह दो विषय में फेल हो गया था। इसके बावजूद, स्कूल प्रबंधन की मिलीभगत से छात्र की अंकसूची में मूल अंकों को सफेदा से मिटाकर नए अंक से बदल दिया गया। इससे छात्र को पास दर्शाया गया था। इसी फर्जी मार्कशीट के आधार पर उसे बिना किसी रुकावट के कक्षा नवमी में दाखिला मिल गया। इस बड़े फर्जीवाड़े को दबाए रखने के लिए स्कूल प्रबंधन के आंतरिक रिकॉर्ड में भी उसी अनुरूप हेरफेर किया गया था, ताकि यह राज कभी बाहर न आए।