रायपुर। केन्द्रीय जेल रायपुर के महिला प्रकोष्ठ मे एक विशेष आध्यात्मिक एवं नैतिक प्रवचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 110 महिला बंदियों ने आत्मीय भाव से सहभागिता की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूज्य आचार्य विद्यासागर जी महाराज की शिष्या पूज्य आर्यिका अंतर्मती माता जी थी, उनके साथ साध्वी अनुग्रह मति माता जी एवं साध्वी उद्योत मति माता जी भी उपस्थित थी। इस अवसर पर संजना जैन, जूली गादिया एवं सोनल जैन, ऋचा जैन, शैली जैन,आभा नायक व महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी सुश्री गरिमा पांडे उपस्थित रही।
कार्यक्रम के शुभांरभ पश्चात् पूज्य आर्यिका अंतर्मती माता जी ने बंदिनियों को अपने प्रवचन में कहा कि ” कोई भी व्यक्ति जन्म से अपराधी नही होता है। परिस्थितियां और अज्ञानवश जीवन में कुछ गलतियां हो जाती है, लेकिन यदि व्यक्ति उन्हे स्वीकार कर आत्मचिंतन व प्रायश्चित करें, तो वह जीवन की दिशा बदल सकता है। जेल केवल दंड का स्थान नहीं बल्कि आत्मसुधार एवं नई शुरूवात का अवसर भी है” उन्होने आगे कहा कि यहा रहकर अपने भीतर की अच्छाई को पहचानिये, दूसरो के प्रति करूणा और अहिंसा के भाव को जगाइये और बाहर आकर एक अच्छे नागरिक बन कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग करें। यही सच्चे धर्म का सार है।” कार्यक्रम के अंत में महिला बंदियों ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि, वे अपने जीवन में धर्म, सत्य और आत्मसंयम को अपनायेगी तथा समाज में एक नई पहचान बनाकर जीवन के सही उद्देश्य को प्राप्त करेंगी। कार्यक्रम के अंत में जेल अधीक्षक योगेश सिंह क्षत्री ने उनका धन्यवाद ज्ञापन किया।