जगदलपुर। बस्तर संभाग में मानसून की आमद के साथ ही संक्रामक बीमारियों ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। इस बार सबसे ज्यादा चिंता जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis – JE) को लेकर है, जिसके 19 मरीज अब तक सामने आ चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोहांडीगुड़ा और केसलूर क्षेत्र में दो बच्चों की मौत की पुष्टि करते हुए अंतिम रिपोर्ट का इंतजार बताया है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2025 से जुलाई मध्य तक JE के बस्तर जिले से 13, बीजापुर से 3 और अन्य जिलों से 3 मामले दर्ज किए गए हैं। लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए विभाग ने संभावित क्षेत्रों में सतर्कता और मच्छर नियंत्रण उपाय तेज कर दिए हैं।
क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस?
यह एक वायरल बीमारी है, जो कुलेक्स मच्छरों के काटने से फैलती है। खासतौर पर यह बीमारी बच्चों में घातक रूप ले सकती है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुरूप साहू का कहना है कि खेत-खार और जंगलों वाले इलाके इस बीमारी की दृष्टि से ज्यादा संवेदनशील होते हैं। मच्छरदानी, मच्छररोधी दवाओं का छिड़काव, और साफ-सफाई ही इससे बचाव के मुख्य उपाय हैं। डिमरापाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जापानी बुखार की जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। स्वास्थ्य विभाग की टीम संभावित इलाकों में जागरूकता अभियान और एहतियाती कार्रवाई कर रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। बस्तर में JE के बढ़ते मामले और बच्चों की मौतों ने सरकार और आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल पहुंचना और मच्छरों से बचाव के उपाय करना ही फिलहाल सबसे बेहतर विकल्प हैं।