हलचल… अब तक 60 बार

thethinkmedia@raipur

अब तक 60 बार

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार को तकरीबन डेढ़ साल हो रहे हैं। इन डेढ़ साल में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बस्तर का रिकार्ड दौरा किये हैं। सरकारी आकड़ों के मुताबिक अब तक उन्होंने तकरीबन 60 बार बस्तर का दौरा किया है। यह इच्छाशक्ति नहीं तो और क्या है? यह बात अलग है कि बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे के लिए केन्द्र सरकार संकल्पित है। स्वयं केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह हर दो माह के अंतराल में राज्य का दौरा कर रहे हैं। इसीलिए शायद इच्छाशक्ति, संवेदना और समावेशी नीति के कारण बस्तर में अब बदलाव की किरणें दिखने लगी हैं। नक्सलवाद के खात्मे के साथ बस्तर में विष्णु के सुशासन का उदय होने लगा है। ऐसा नहीं है कि पूर्व की सरकारों ने नक्सलवाद के खात्मे का प्रयास नहीं किया। सभी सरकारें नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ती रहीं। लेकिन महज डेढ़ साल के कार्यकाल में 60 बार बस्तर का दौरा कर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक कीर्तिमान रचा है। यह उनकी इच्छाशक्ति और नक्सलवाद की लड़ाई के प्रति अडिग रहने का जीता-जागता उदाहरण है।

अपनों के बीच नहीं चलते चाल

वैसे तो जनसंपर्क आयुक्त रवि मित्तल ने विष्णु सरकार की शुरूआती में बेपटरी हुए जनसंपर्क विभाग को पटरी में लाने के लिए जी तोड़ मेहनत की है। लेकिन कुछ हद तक एक सफल नेतृत्व के लिए विचार भी मायने रखते हैं। दरअसल जनसंपर्क आयुक्त की जिम्मेदारी संभालने के बाद पहली बार रवि मित्तल रायपुर प्रेस क्लब पहुंचे, यहां एक-एक पत्रकार से वह रुबरु हुए। उनके अन्दर पत्रकारों के लिए एक अपनेपन का भाव सभी ने महशूस किया। मित्तल ने भी बता दिया कि मैं अपनों के बीच शह और मात का खेल नहीं खेलता। आईएएस रवि मित्तल ने रायपुर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित मैंगो पार्टी को पत्रकारों के बीच खूब इंज्वाय किया। पत्रकारों से मिलने के बाद वह खेल रुम पहुंचे, जहां सामने शतरंज का खेल दिखाई दिया, उसके बगल में कैरम बोर्ड दिखा। आईएएस रवि मित्तल ने शतरंज की शह और मात की खेल को न चुनकर कैरम बोर्ड में गोटियां खेलना पसंद किया। दरअसल शतरंज में शह और मात का खेल रवि मित्तल को पंसद नहीं, इसलिए उन्होंने कैरम पर बैठना पसंद किया। आईएएस रवि मित्तल का मानना है कि अपनों के बीच शह-मात और हार या जीत का विषय ही नहीं आना चाहिए।

दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है

राजनीति का खेल की कुछ जुदा है, यहां हर एक खिलाड़ी बड़ा दांव खेलना जानता है। किसी ने सच ही कहा है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। ऐसा ही हाल इन दिनों पूर्व सीएम भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के बीच देखने को मिल रहा है। लोकसभा चुनाव फिर नगरीय निकाय चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को बदलने की कवायद शुरु हो चुकी थी। प्रदेश कांग्रेस की रेस में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और कभी भूपेश बघेल के करीबी रहे विधायक देवेन्द्र यादव का नाम उभरकर सामने आने लगा। लेकिन भूपेश राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं, वह यह भली-भांति जानते हैं कि कौन सी चाल कब चलनी है। देवेन्द्र यादव यदि प्रदेश अध्यक्ष बन गये तो दुर्ग में भूपेश का कद छोटा हो जाएगा, जो भूपेश कभी हरगिज होने नहीं देंगे। वहीं यदि टीएस सिंहदेव पीसीसी चीफ बना दिए गए, तब भी भूपेश की पकड़ राज्य में कमजोर होगी। ऐसे में दीपक बैज पर ही भूपेश नेे मौन स्वीकृति दे दी है। यह बात अलग है कि कभी बैज और भूपेश में दुआ-सलाम तक बंद था। इसीलिए कहते हैं कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है।

राम से बीस निकले श्याम

विष्णु सरकार में सबसे विवादित मंत्री की श्रेणी में अभी तक राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को रखा गया था। उनके विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कभी तहसीलदार उन पर आरोप लगाते तो कभी अन्य लोग राजस्व मंत्री के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते नजर आयेे। लेकिन अब वक्त बदल चुका है, वर्तमान समय में सबसे विवादित मंत्री का तबका श्याम बिहारी जायसवाल पर लग चुका है। व्यक्तिगत तौर पर मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल सरल और शांत स्वभाव के नेता हो सकते हैं। लेकिन उनके विभाग के अधिकारी इस समय उनकी भद्द पिटा रहे हैं। उनके विभाग में चल रही गड़बडिय़ां इन दिनों मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है। बावजूद उनके विभाग के अफसरों ने मेकाहारा में पत्रकारों की सीधी एन्ट्री पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश ने सीधा मीडिया की स्वतंत्रता को आघात पहुंचाने का काम किया। आक्रोशित पत्रकार मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और उनके विभाग के खिलाफ लांमबंद होकर धरना में बैठ गए। नतीजन फजीहत के बाद उस आदेश को कैंसिल करना पड़ा। अफसरों की गैर-जिम्मेदाराना हरकतों के कारण मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल एक बार फिर चर्चा में हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के पत्रकार यह मामने को विवश हो चुके हैं कि उनके विभाग में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। शायद यही वजह है कि लोग अब यह कहने लगे है कि राम से बीस निकले श्याम।

उल्टी गिनती शुरु, अगला सीएस कौन?

राज्य के मौजूदा सीएस अमिताभ जैन 30 जून को रिटायर होने जा रहे हैं। कुल मिलाकर नए सीएस की नियुक्ति को लेकर उल्टी गितनी शुरु हो चुकी है। दस दिन के भीतर राज्य को नया सीएस मिल जाएगा। हालांकि इस बीच केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिन के छत्तीसगढ़ के प्रवास पर भी रहेंगे। अगले सीएस के रुप में एसीएस मनोज पिंगुआ का नाम सबसे तेजी से उभरकर सामने आ रहा है। वहीं सुब्रत साहू भी इस रेस में पीछे नहीं हैं। दरअसल सुब्रत साहू महाप्रभू की शरण में पहुंच चुके हैं। महाप्रभू का आशिर्वाद यदि सुब्रत को मिल गया, तो अगले सीएस के रुप में सुब्रत पर भी मुहर लग सकती है। हालांकि सीनियरिटी के लिहाज से इस रेस में आईएएस रेनु पिल्ले और और आईएएस अमित अग्रवाल की भी दावेदारी स्वभाविक है। अमित अग्रवाल वर्तमान में केन्द्र सरकार में महती भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में सीएस की रेस सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ के बीच होने जा रही है।

माया मिली, न राम

वाइल्ड लाइफ की जिम्मेदारी सम्भाल रहे पीसीसीएफ सुधीर अग्रवाल ने पद की चाह में अपने पूरे कार्यकाल को लड़ाई में गुजार दिया। दरअसल पूर्व की कांग्रेस सरकार में आईएफएस व्ही श्रीनिवास राव को हेड ऑफ फारेस्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई। सुधीर अग्रवाल ने इस नियुक्ति का खुला विरोध किया। वह श्रीनिवास की नियुक्ति के विरोध में कैट से लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन सुधीर के दावे हर जगह खारिज कर दिये गए। सुधीर अग्रवाल इस लड़ाई में यहीं नहीं रुके, हाइकोर्ट में परिणाम उनके विपरीत आने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने दिल्ली पहुंच गए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक सुधीर अग्रवाल की याचिका पर कोई निर्णय नहीं दिया है। लेकिन पद की लड़ाई में सुधीर ऐसे उलझे कि उनका रिटायरमेन्ट नजदीक आ गया, इसकी भनक उन्हें भी नहीं लगी। दरअसल अगस्त माह में आईएफएस सुधीर अग्रवाल रिटायर हो जाएंगे। लेकिन वह अभी भी व्ही. श्रीनिवास की नियुक्ति को लेकर मोर्चा खोले हुए हैं। हालांकि पद की लड़ाई के चलते वह वाइल्ड लाइफ में कुछ खास नहीं कर पाये। वन्य जीवों की मौत पर सुधीर घिरते नजर आये। रिटायरमेन्ट नजदीक आते ही लोग अब कहने लगे है कि सुधीर को माया मिली न राम।

editor.pioneerraipur@gmail.com

 

शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *