शिवरीनारायण– धर्म एवं अध्यात्म की नगरी धार्मिक नगरी शिवरीनारायण के निषाद-वार्ड क्रमांक 3 में देवउठनी-एकादशी के शुभ अवसर पर शिव-पार्वती विवाह के उपलक्ष में गौरी- गौरा का पारंपरिक पूजन-अर्चन का कार्यक्रम प्रारंभ की गई । नगर व वार्ड वासी द्वारा प्रतिदिन सुबह -शाम भक्ति रस में डूब कर सामूहिक रूप से लोक गीत-गायन कर पूजा अर्चना की जाती रही है।
धार्मिक मान्यता व परंपरा अनुसार नदी व तालाब की शुद्ध जल ,व पवित्र मिट्टी लेकर आते हैं, फिर उस मिट्टी से अलग-अलग चौकी-पीढ़ा में मूर्ति स्थापित करते हैं और मूर्त्तियों को सुसज्जित कर महिलाएं सिर में धारण करती है और शोभा यात्रा निकाल कर बाजे गाजे के साथ शिव पार्वती- विवाह कार्यक्रम संपन्न करते हैं। शिव-पार्वती विवाह उत्सव में सभी वैवाहिक रस्में पूरी की गई। इस पावन अवसर पर उत्साहित नवयुवतियों और महिलाओं ने विवाह के विभिन्न पारंपरिक लोक-गीत भी गाये । विवाह कार्यक्रम के पश्चात रात्रि में महिलाएं सुमधुर गीत संगीत भजन , सुवा गीत एवं नृत्य कर रात्रि जागरण किए तत्पश्चात दूसरे दिन भगवान शिव पार्वती की विसर्जन हेतु शोभायात्रा निषाद वार्ड से नगर के प्रमुख मार्ग से होते हुए रामघाट पहुंची , इसके पूर्व नगर के श्रध्दालुजन भगवान भोलेनाथ का आरती व पूजन कर शोभा यात्रा का जगह जगह स्वागत किया किया गया। तत्पश्चात रामघाट पर गौरा गौरी का विधि विधान से पूजा अर्चना कर त्रिवेणी संगम में यह मूर्तियां विसर्जन की गई तत्पश्चात महिलाएं नृत्य गायन करती हुई पुन: यज्ञ स्थल पहुंचकर सामूहिक रूप सुआ नृत्य कर कार्यक्रम का समापन किए ।
