भिलाई। सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट मेला हरियाणा में अंचल के सुविख्यात मूर्तिकार डा. अंकुश देवांगन द्वारा निर्मित भव्य प्रतिमाएं दर्शकों का मन मोह रही है। मेला प्रशासन ने इन स्थाई और नयनाभिराम कलाकृतियों के लिए अंकुश का आभार माना है। हस्तशिल्प उत्पादों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा यह मेला प्रतिवर्ष फरवरी मार्च में आयोजित किया जाता है। ज्ञात हो कि दिल्ली एनसीआर के अंतर्गत आने वाला सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट मेला पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। जहां प्रतिदिन डेढ़-दो लाख से ज्यादा दर्शक और बीसों हजार विदेशी मेहमान आते हैं। इस मेले की खासियत है कि इसमें विश्व का कोई एक देश और भारत का कोई एक राज्य मिलकर मेजबानी करता है। जहां लोककलाकार अपने द्वारा निर्मित कलाकृतियों को बेचकर करोड़ो अरबों रूपयों का व्यापार करते हैं। वर्ष 2015 में इसकी मेजबानी छत्तीसगढ़ राज्य और लेबनान देश ने संयुक्त रूप से की थी।
तत्कालीन संस्कृति मंत्रालय द्वारा अंकुश के डिजाइन को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए उन्हें इस मेले में सजावट का जिम्मा दिया गया। जिसके बाद उसकी टीम ने यहां तीन माह की मेहनत से 150 एकड़ परीक्षेत्र को पूरे छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति से पाट डाला था। क्या बस्तर की माड़ीया-मुड़ीया कलाकृति, क्या सिरपुर मंदिर तो क्या बारसूर का गणेश। ताला का रूद्रशिव हो या सैकड़ो की तादात मे झूमते गाते छत्तीसगढ़ी मंड्ई मेला की जीवंत झांकियां, जंवारा, भोजली और बैलगाड़ी का लंबा कारवां। उड़ती तितलियों से सुसज्जित मनमोहक प्रवेश द्वार तो रंगबिरंगी फूलों की लंबी घाटियां। स्वप्नलोक की तरह दिखने वाले इस दृश्य को जो भी देखता वह देखते ही रह जाता था। सबकी जुबां पर अनायास ही शब्द उठ आते थे कि क्या सचमुच छत्तीसगढ़ की संस्कृति इतनी समृद्ध है। यही नही इसी बहाने सबको अपने देश की लोकसंस्कृति पर घमंड भी हो उठता था। लगभग पांच मंजिली इमारत जितना ऊंचा छत्तीसगढ़ गेट तो अब इस मेला का मुख्य प्रवेश द्वार और यहां का शान बन चुका है। मेला प्रशासन के 48 वर्षों के इतिहास में इससे श्रेष्ठ सजावट अब तक नहीं हुआ। जिसमें बनी अधिकांश कलाकृतियां आज भी वहां छत्तीसगढ़ के संस्कृति की सौंधी सौंधी महक बिखेर रही है। क्योंकि अंकुश ने अस्थाई की जगह उससे भी न्यूनतम लागत पर सीमेंट कांक्रीट की स्थाई कलाकृतियों का निर्माण कर डाला था। इन नयनाभिराम कलाकृतियों से सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेला की सुंदरता में चार चांद लग आए हैं। यही वजह है कि हरियाणा सरकार की मेला प्रशासन समिति प्रतिवर्ष अंकुश देवांगन को आमंत्रित करती है। देश की राजधानी दिल्ली से लगे होने के कारण यहां के बाशिंदों और आने वाले हजारों विदेशी सैलानियों को इस मेले का हर साल बेसब्री से इंतेज़ार रहता है। बासंती बेला के खूबसूरत मौसम में लगने वाले इस मेले में यहां प्रेमी जोड़ों का कलरव देखने लायक रहता है। ऐसा लगता है कि मानो दिल्ली का दिल इन दिनों यहीं सिमट कर रह गया है।