कर्नाटक : पश्चिमी घाट की तलहटी में आठ जिलों के 31,231 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। इन जिलों का 53 फीसदी क्षेत्र भूस्खलन संभावित क्षेत्र में है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की विभिन्न रिपोर्टों के आधार पर राजस्व विभाग के आपदा प्रबंधन प्रभाग ने इस पर एक रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंप दी है।
रिपोर्ट में पिछले साल मानसून के मौसम में शिरूर और मैंगलोर-बेंगलुरु राजमार्गों पर हुए भूस्खलन के कारणों और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए अल्पकालिक और दीर्घकालिक राहत उपायों के बारे में बताया गया है। भूस्खलन पर कई अध्ययन किए गए हैं, जिनमें पहाड़ियों के ढहने के कारणों को सूचीबद्ध किया गया है और उनके समाधान का उल्लेख किया गया है।
जुलाई 2024 में उत्तर कन्नड़ जिले के शिरूर में हुए भूस्खलन में 11 लोगों की मौत हो गई थी। एनजीटी ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था। पीठ ने राजस्व विभाग को नोटिस जारी कर घटना पर रिपोर्ट पेश करने को कहा था। उत्तर कन्नड़, उडुपी, दक्षिण कन्नड़ और कोडागु समेत आठ जिलों का कुल क्षेत्रफल 58,766 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से कोडागु में 96 फीसदी, दक्षिण कन्नड़ में 94 फीसदी और उत्तर कन्नड़ में 81 फीसदी भूस्खलन संभावित क्षेत्र में हैं। राज्य में 2006 से 2023 तक भूस्खलन के 1,405 मामले सामने आए हैं।