छोटे से बड़े हो ना आसान हैं लेकिन बड़े होने के बाद विनम्र रहना बहुत कठिन हैं-किरण भदौरिया

छोटे से बड़े हो ना आसान हैं लेकिन बड़े होने के बाद विनम्र रहना बहुत कठिन हैं, और यही सुन्दर कांड हैं रावण बड़ा होकर कभी विनम्र नहीं बन पाया लेकिन हनुमान जी बड़े होकर भी विनम्र रहे इसीलिए सुन्दर कांड हनुमान जी के नाम से हैं रावण कोई काम करने से पहले कभी पूछता नहीं था और हनुमान जी थे जो कोई भी काम बीना पूछे करते नहीं थे जब वो अशोक वाटिका पहुंचे तो भूख लगी तो सीता माता से फल खाने से पहले उनसे पूछ रहे हैँ उनसेआज्ञा लिए उसके बाद उन्होंने अपना काम किया चाहते तो बीना पूछे भी फल का लेते बल भी दिखा लेते बड़ा काम कर सकते थे लेकिन उन्होंने सीता माता से पूछा उसके बाद फिर काम किया
सार
इंसान जितना बड़ा उतना विनम्र

सुन्दर कांड राम मंदिर मे महाराज जी के आशीर्वाचन का एक प्रसंग

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