विश्व आदिवासी दिवस: आप भी नहीं जानते होंगे आदिवासियों की ये खास बातें

 दुनियाभर में आज विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा। आपको बता दें कि 1982 से हर साल 9 अगस्त को ये दिवस मनाया जाता है। इस दिन संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने आदिवासियों के भले के लिए एक कार्यदल गठित किया था जिसकी बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। उसी के बाद से (UNO) ने अपने सदस्य देशों को प्रतिवर्ष 9 अगस्त को ‘विश्व आदिवासी दिवस’ मनाने की घोषणा की।

-भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में जाट, गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, बोडो, भील, खासी, सहरिया, संथाल, मीणा, उरांव, परधान, बिरहोर, पारधी, आंध,टोकरे कोली, महादेव कोली,मल्हार कोली, टाकणकार आदि शामिल हैं।

-9 अगस्त 1982 को संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर मूलनिवासियों का पहला सम्मेलन हुआ था। इसकी स्मृति में विश्व आदिवासी दिवस “Tribal day” मनाने की शुरुआत 1994 में कि गई थी।

World Tribal Day: आखिर क्यों करना पड़ा था आदिवासियों को अपने प्राणो को न्योछावर, जानें इनके संघर्ष की रहस्मय कहानी

-एक तरफ जहां हिंदू अपनी पहचान के लिए लाल या फिर ऑरेंज रंग का राम लिखा झंडा घर पर लगाते हैं, वहीं, इस आदिवासी लोग अपने घरों और खेतों में खास तरह का झंडा लगाते हैं, जो अन्य धर्मों के झंड़ों से एकदम अलग होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आदिवासी किसी मूर्ति के बजाय जीव-जंतुओं, नदियो, खेत और पर्वत आदि प्राकतिक चीजों की पूजा करते हैं।

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– जब 21वीं सदी में संयुक्त राष्ट्र संघ  ने महसूस किया कि आदिवासी समाज उपेक्षा, बेरोजगारी एवं बंधुआ बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से ग्रसित है, तभी इस समस्याओं को सुलझाने, आदिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए इस कार्यदल का गठन किया गया था।

TRIBAL

-आदिवासी शब्द दो शब्दों ‘आदि’ और ‘वासी’ से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल निवासी होता है।

-भारत की जनसंख्या का 8.6% यानी कि लगभग (10 करोड़) जितना बड़ा एक हिस्सा आदिवासियों का है।

-भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए ‘अनुसूचित जनजाति’ पद का इस्तेमाल किया गया है।

-आदिवासी प्रकृति पूजक होते है। वे प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव, जंतु, पर्वत, नदियां, नाले, खेत इन सभी की पूजा करते है। और उनका मानना होता है कि प्रकृति की हर एक वस्‍तु में जीवन होता है।

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