नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने देश के नागरिकों से ‘ हम भारतीय की प्रतिबद्धता व्यक्त करने का आह्वान करते हुए कहा है कि आत्मनिर्भर भारत के लिए सभी को मिलकर कदम बढ़ाना होगा। नायडू ने ‘ भारत छोड़ों आंदोलन दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को जारी एक संदेश में कहा कि एक समावेशी, आत्मविश्वास से परिपूर्ण, आत्मनिर्भर भारत के लिए साथ साथ कदम बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं ‘भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस ऐतिहासिक दिन को 1942 में गांधी ने देशवासियों को ‘करो या मरो का अमर मंत्र दिया था जिसने स्वाधीनता आंदोलन में नयी जान फूंक दी और अंग्रेजों को अंतत: 1947 में भारत छोडऩे पर विवश होना पड़ा। इस अवसर पर भारत के उन वीर सपूतों और बेटियों की असंख्य कुर्बानियों को याद करनी चाहिए जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराने के लिए ‘भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि आज हम भारत को गरीबी, अशिक्षा, असमानता, भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता और लैंगिक भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों से मुक्त करने के लिए पुन: प्रतिबद्ध हों। नायडू ने कहा कि भारत की सभ्यता ‘सेवा और सद्भाव के सनातन मूल्यों पर आधारित है और आज जब हम समाज में आपसी सौहार्द, भाईचारे, परस्पर सम्मान और साझा दायित्वों की भावना को बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं, तब यही सिद्धांत हमारा मार्गदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि हम याद रखें कि हमारी वेशभूषा, भाषा और धार्मिक आस्थाओं में भिन्नता होने के
बावजूद हम ‘भारतीय सबसे पहले हैं और हमें इसका गर्व होना चाहिए। ये सुंदर, समृद्ध भूमि हममें से हर किसी की है और एक बेहतर भविष्य के लिए अपनी यात्रा में हम सब साथ हैं। आइए , हम अपने जीवन में ‘भारतीयता का स्वागत करें – चाहे वो मातृभाषा का प्रयोग हो या फिर पारंपरिक पहनावा, आइए भारतीय परंपराओं का आदर करें।”