सक्ती-प्रकृति प्रथम कृति अर्थात प्रकृति की रचना के उपरांत प्राणी जगत याने हम सब जीव धरा पर जन्म लेकर प्रकृति अनुरूप जीवन का आनंद ले रहे हैं,पर वर्तमान में हम अपने स्वार्थ में इतने लीन हैं कि प्रकृति प्रदत्त जिस जल वायु को ग्रहण कर जीवित हैं,जीवन के उन्हीं स्त्रोतों को क्षति पहुंचा रहे हैं जबकि इन प्राकृतिक स्त्रोतों के समोचित संरक्षण की महति आवश्यकता है,यह उद्गार सरस्वती शिशु मंदिर के व्यवस्थापक चितरंजय सिंह पटेल ने आज प्रकृति वंदन सप्ताह के प्रथम दिवस पर आयोजित जल स्त्रोत वंदन कार्यक्रम के अवसर व्यक्त करते हुए उपस्थित आचार्य परिवार व भैया बहनों को प्रकृति संरक्षण के लिए आग्रह किया।
इस अवसर पर विद्यालय परिवार ने शाला परिसर के जल स्त्रोत ट्यूबवेल का दीप प्रज्वलन , पुष्प अर्पण के साथ ही बहनों व दीदियों ने राखी बांधकर पूजन करते हुए जल स्त्रोतों के संरक्षण के लिए संकल्प लिया,पश्चात आरती पूजन कर सभी को प्रसाद वितरण कर कार्यक्रम का समापन किया गया। इस कार्यक्रम में प्राचार्य चूणामणि साह् , प्रधानाचार्य बलदाऊ साह् के साथ विद्यालय के आचार्य गण व भैया बहनों की गरिमामय उपस्थिति रही जिनमें इस प्रकार प्रकृति वंदन के इस अनूठे आयोजन को लेकर भारी जिज्ञासा व उत्साह दिखाई दिया।