सुकमा : बस्तर के जंगल-नदी को पार कर स्वास्थ्य विभाग की टीम कर रही मलेरिया जाँच

रायपुर। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने का सपना साकार हो रहा है। प्रदेश के अंतिम छोर में बसे सुकमा जिले में चारों ओर घने जंगल और नदी नाले होने के फलस्वरुप मलेरिया का प्रकोप रहा है। जिससे बच्चों में कुपोषण सहित अन्य गंभीर बीमारियों का डर रहता था। किन्तु आज शासन प्रशासन के सफल प्रयासों से सुकमा के वनांचलों की तस्वीर बदलने लगी है। अंदरुनी क्षेत्र के लोगों में भी मलेरिया सहित अन्य वेक्टर जनित रोगों के बारें मे जागरुकता आई है। इसी का परिणाम है कि जिले में आज मलेरिया पॉजिटिविटी दर केवल 0.4 प्रतिशत रह गई है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताया गया कि मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ के चतुर्थ चरण में जिले भर में 700 सर्वे दल के माध्यम से शत-प्रतिशत मलेरिया जांच किया गया। मलेरिया जाँच टीम द्वारा 410 गांवों के 57 हजार 195 घरों में निवासरत दो लाख 65 हजार 59 लोगों का जाँच किया गया। जिसमें एक हजार 104 व्यक्ति पॉजिटिव पाए गए। 15 जून 2021 से 31 जुलाई तक चले इस अभियान में संवेदनशील और दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में मलेरिया जाँच किया गया। ऊंची नीची पहाड़ियों सहित नदी नालों को पार कर स्वास्थ्य अमले ने डोर-टू-डोर पहुंचकर लोगों का मलेरिया जांच किया और ग्रामीणों को मलेरिया से बचाव के लिए किए जाने वाले उपायों से भी अवगत कराते गए। इसके साथ ही मलेरिया पॉजिटिव पाए गए व्यक्ति को मौके पर आवश्यक दवाएं भी उपलब्ध कराई गई। वहीं ग्राम स्तर पर लोगों को मलेरिया से बचने के लिए नियमित तौर से मच्छरदानी का उपयोग के अलावा मलेरिया के लक्षण जैसे हल्के बुखार के साथ ठण्डी महसूस होने पर नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में उपचार कराने के लिए बताया गया।

जाँच दल के सदस्यों ने मलेरिया जांच के इस अभियान को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया। बरसात के दिनों में कई क्षेत्रों में नदी नाले का जल स्तर बढ़ जाता है जिससे दल को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा फिर भी टीम ने पूरी हिम्मत से आगे बढ़ती गई। नदी-नाले भरे रास्तों में सफर कर गांवों तक पहुंचना, बारिश के साथ ही घने हो चुके जंगलों के बीच बसे गांवों तक पहुँच कर स्वास्थ्य विभाग की टीम लोगों का मलेरिया जाँच करने में सफल रही है।

कीटनाशक दवा का छिड़काव भी किया
इस दौरान मलेरिया जांच दल के द्वारा मच्छर लार्वा को रोकने कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव भी किया गया। इसके साथ ही आमजनों को मच्छर लार्वा को नष्ट करने के उपाय जैसे घर के आसपास के गड्ढे, टायर एवं नालियों में एकत्रित गंदे पानी की सफाई कर केरोसिन या कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव करने के लिए प्रेरित किया गया। ग्रामीणों को मलेरिया से बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करने की भी सलाह दी गई। साथ ही जिन ग्रामीणों के पास मच्छरदानी नहीं थी उन्हें मच्छरदानी भी प्रदान की गई।

उल्लेखनीय है कि जिले में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के चतुर्थ चरण का आगाज 15 जून 2021 से हुआ था जो 31 जुलाई तक चलाया गया। 700 सर्वे दल के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के दो लाख 57 हजार 467 व्यक्तियों का मलेरिया जाँच करने के निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध दो लाख 65 हजार 59 व्यक्तियों की जाँच कर शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया गया है।

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