बालोद। जिला प्रशासन की एक और सराहनीय पहल सामने आई है। डौंडी ब्लॉक के ग्राम पंचायत सिंघोला के आश्रित वनांचल गांव सुकड़ीगहन में कमार जनजाति के आय संवर्धन एवं जीविकोपार्जन में वृद्धि हेतु बांस हस्तकला पर आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जहां कमार समुदाय के लोग बस्तर हस्तकला के तर्ज पर बांस से घर के इंटीरियर की सामग्रियां जैसे सोफा सेट, पलंग, नाईट लैम्प व सजावटी सामान जैसे उपयोगी सामग्रियों का निर्माण कर रहे हैं।
जिससे वे आत्मनिर्भर होकर अधिक से अधिक आय संवर्धन कर सकेंगे। निर्मित हुए सामग्रियों की लांचिंग आज विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल वर्चुअल के माध्यम से करेंगे। जिसे फिर बालोद बाजार के माध्यम से विक्रय किया जाएगा। हालांकि आपको बता दे कि सुकड़ीगहन में निवासरत कमार समुदाय के लोग करीबन 20 सालों से नियमित रूप से बांस का सुपा, टोकरी आदि सामग्री तैयार व विक्रय कर अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं। लेकिन इस प्रशिक्षण के बाद निर्माण होने वाली सामग्रियां उनके और अतिरिक्त आय का जरिया बनेगी।
बालोद बाजार के जरिये किया जाएगा विक्रय
दरअसल रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र सुकड़ीगहन में कमार जनजाति के 70 परिवार निवासरत है। जिनकी जनसंख्या 300 से अधिक है। ग्राम पंचायत सिंघोला के आश्रित गांव सुकड़ीगहन में सिर्फ कमार समुदाय के लोग ही निवास करते है। जिनका मूल व्यवसाय बांस की सामग्रियां जैसे टोकरी, सूपा बनाना है। लेकिन अब इनके जीवन स्तर को और ऊपर उठाने कलेक्टर के मार्गदर्शन में यहां बांस हस्तकला पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम किया जा रहा है, जो कि 6 माह तक चलेगा। इस प्रशिक्षण में कमार जनजाति के लोगों को घरेलू सम्बंधित इंटीरियर सामग्रियां व कलात्मक चीड़े बनाने की कला सिखाई जाएगी। सामग्रियां बनने के बाद इसे बालोद बाजार के जरिये विक्रय किया जाएगा। जिससे कमार जनजाति के लोगो को और अतिरिक्तआय होगी। जिला प्रशासन की इस पहल से कमार जनजाति के लोगो मे दुगुनी खुशी व्याप्त है।
कमार समुदाय के जीवन शैली में भी आएगा बदलाव
अभी हाल ही में जिले के कलेक्टर जनमेजय महोबे भी 2 किलोमीटर मोटर साईकिल चलाकर प्रशिक्षण केंद्र का निरीक्षण करने पहुचे थे। जहां उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा की थी और उन्हें प्रोत्साहित किया था। साथ ही उन्हें हो समस्याओं से भी अवगत होते हुए जल्द उसे पूरा करने की बात कही थी। सिंघोला से सुकड़ीगहन पारा तक सड़क मार्ग का निर्माण एवं आँगनबाड़ी खोले जाने की प्रमुख समस्या ग्रामीणों ने कलेक्टर के समक्ष रखी थी। ग्रामीणों की माने तो प्रशिक्षण पूरा होने के बाद जो सामग्रियां निर्मित की जाएगी उससे उन्हें दोगुनी आय होगी औऱ जीवन शैली में भी बदलाव आएगा।
कमार जनजाति द्वारा निर्मित सामग्रियों को बालोद बाजार के माध्यम से विक्रय करेंग े: महोबे
पायनियर से ड़ास चर्चा में कलेक्टर जनमेजय महोबे ने कहा कि अब बस्तर के प्रसिद्ध हस्तकला के बाद बालोद जिले में कमार जनजाति द्वारा निर्मित किये जा रहे घरेलू सम्बंधित इंटीरियर सामग्रियां व कलात्मक चीड़े भी बाजार में आसानी से उपलब्ध हो पाएगी। सुकड़ीगहन रिजर्व फारेस्ट एरिया है। तो थोड़ा एग्रीकल्चर लाइन की भी प्रॉब्लम है। पट्टे वगैरह को देने में मान लो देते हैं तो वो एक अलग चीड़ है। इसके अलावा गांव वासियों से मेरी बात हुई तो बांस की ट्रेनिंग चल रही है। जिसमे सूपा, टोकनी बनाते थे। वो पूरी उनके स्थानीय हाट बाजार में बिक जाया करती थी। अब उससे ऊपर उठकर वो एक कलात्मक चीड़े बना रहे हैं। घर के इंटीरियर के सामान बना रहे हैं। महोबे ने कहा कि निरीक्षण के दौरान मैंने देखा की उन्होंने एक सूंदर सा सोड़ा बनाया हुआ है। जिसमे पॉलिशिंग का काम अभी बचा हुआ है। तो ये उनके वर्क को और अपग्रेड करेगा और उन्हें सही कीमत देगा। तो उनकी निश्चित ही आर्थिक स्थिति सुधरेगी और इसके अलावा वहां जो काम संभव हो सकता है, जैसे मुर्गीपालन और बकरी पालन का काम।
वस्तुत: हम वो अभी भी कर रहे हैं। लेकिन अभी वो स्वयं के सोर्स से कर रहे हैं। तो इसमें भी हमने वेटनरी डिपार्टमेंट को इंस्ट्रक्शन दिए हुए हैं कि वहां पर लोगो को जरुरत है, तो इस तरह की गतिविधियों में करें। ताकि उनका जीवन स्तर और ऊपर उठे। महोबे ने आगे बताया कि जिले में हम शुरू से ही बालोद बाजार के माध्यम से मार्केटिंग कर रहे हैं। और कमार जनजाति द्वारा निर्मित सामग्रियों को भी बालोद बाजार के माध्यम से विक्रय करेंगे। हमारे यहाँ की एक महान जनजाति है जो इतनी पुरानी है उनके द्वारा निर्मित है और लोगो को ये पसंद आएगी और जैसे ही ऐसी चीजे जो पूर्व में बस्तर साइड ट्राइबल कमेटी के द्वारा बनाया गया है। वो भी बिक रही है और इसकी मार्केटिंग करने पर निश्चित रूप से लाभ होगा। महोबे ने कहा मुझे तो पूरा विश्वास है कि जो भी प्रोडक्ट मैंने उनका देखा है वो बिल्कुल जैसे ही हम उसको मार्किट में लॉन्च करेंगे वो बिकेगा और आज विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर वर्ल्ड ट्रायबल डे के दिन हम उनके प्रोडक्ट को लांच करने जा रहे है और उन्हें इससे प्रॉफिट
जरूर होगा।
प्रशिक्षण के बाद से इनका जीवन स्तर और ऊपर उठेगा
ग्राम पंचायत सिंघोला के सरपंच जितेंद्र कुमार नेताम ने बताया कि जिला प्रशासन को जब हमने अवगत कराया है की ये बांस से ही सूपा और टोकरी का निर्माण करते आ रहे हैं। उसके बाद जिला प्रशासन को हमने इससे अवगत कराया कि इनका जीवन स्तर और ऊपर उठ जाये और अतिरिक्तआमदनी हो जाये। जिसके बाद हमारे कलेक्टर का यहाँ पर दौरा हुआ।
उन्होंने इनको हस्त शिल्प भवन उपलब्ध करवाया और जिसके बाद इनके द्वारा सोफासेट, कुर्सी टेबल, पलंग और अन्य सामाग्री बनाने का प्रशिक्षण लिया जा रहा है। जिसमे जिला प्रशासन की यह मंशा है कि इनका जीवन स्तर सुधर जाये और इनकी आमदनी बढ़ जाये। प्रशासन का यह निर्णय कारगार साबित होगा। नेताम ने आगे कहा कि मुझे उम्मीद है कि यहां के लोग हस्त शिल्प का दिल से प्रशिक्षण ले रहे हैं। आगे चलकर ये प्रशिक्षण जरूर कारगर साबित होगा इनका जीवन स्तर और ऊँचा उठेगा।