पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध बनाना ‘बलात्कार’ नहीं- छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का फैसला

रायपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक विवादित फैसला देते हुए कहा है कि पति द्वारा पत्नी के साथ जबरदस्ती बनाया शारीरिक संबंध भी दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आएगा. कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान ये फैसला दिया है और पति को ‘वैवाहिक बलात्कार’ के आरोपों से मुक्त कर दिया है. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, “कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ पति द्वारा यौन संबंध या कोई भी यौन कृत्य रेप नहीं है, भले ही यह बलपूर्वक अथवा पत्नी के इच्छा के खिलाफ किया गया हो.”

बता दें के मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार को लेकर दिल्ली उच्च न्यायलय में भी एक मामला आया था. इस दौरान केंद्र ने कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है. सीधे शब्दों में कहें तो मैरिटल रेप भी घरेलू हिंसा का ही एक विकृत रूप है.  इसका अर्थ पत्नी की सहमति के बिना उसके साथ यौन संबंध बनाने या ऐसा करने के लिए मजबूर करने से है. किन्तु इंडियन पीनल कोड (IPC) में पूरी तरह से इसकी व्याख्या नहीं की गई है. IPC की धारा 376 दुष्कर्म जैसे अपराध के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करता है. IPC की इसी धारा के मुताबिक, पत्नी से दुष्कर्म करने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान तो है, बशर्ते पत्नी की आयु 12 साल से कम हो. हालांकि यहां ये बता देना भी आवश्यक है कि भारत में 12 साल की उम्र में लड़कियों का विवाह बाल विवाह की श्रेणी में आता है, जो कि पहले से ही एक जुर्म है.

शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *