तिल्दा नेवरा, संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं ने कमरछठ का व्रत रखा। कमर छठ की तैयारी करने सुबह से ही तिल्दा नेवरा के बाजार में खासी भीड़ रही। छह तरह की भाजियां, पसहर चावल, काशी के फूल, महुआ व पत्ते, धान की लाई सहित पूजा की कई छोटी-बड़ी पूजन की सामाग्री भगवान शिव को अर्पित करने के लिऐ माताओ के द्वारा एकत्रित किया गया तथा संतान के दीर्घायु जीवन की कामना के साथ माताओ के द्वारा रखने वाला यहा व्रत विधि विधान से प्रारंभ हुई कमरछठ पूजा का सदियो से परंपरा रहा है जो हमारे ग्राम सासाहोली के गांधी चौक, तिगडा चौक व कोहका के महिलाओं द्वारा पूरे रितीरिवाज सहित धुममधाम व हर्षोउल्लास पूर्वक कमरछट का व्रत को पारंपरिक रूप से मनाया जाता रहा है। माताओ के द्वारा निर्जला व्रत रहकर शिव-पार्वती की पूजा की गई।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से एक कमरछठ को हलछठ या हलषष्ठी भी कहा जाता है कमरछठ से ज्यादा प्रचलित है इस व्रत को माताएं निर्जला रहकर शिव-पार्वती की पूजा की सगरी बनाकर सारी रस्में निभाई तथा इस मौके पर कमरछठ की कहानी सुनी तथा सूर्य को अध्र्य देने के पश्चात माताओ द्वारा आरती ,पुजन व क्षमा प्राथना के साथ शान्ति पाठ कर पुजा सम्पन्न की गई।