मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा आवास एवं पर्यावरण विभाग के कार्यों की गहन समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने राज्य में वनों के संरक्षण तथा संवर्धन सहित आदिवासी और वनवासियों के उत्थान की दिशा में सतत् रूप से कार्य करने के लिए निर्देशित किया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने समीक्षा के दौरान कहा कि प्रदेश के वनांचल में भी भू-जल संरक्षण तथा संवर्धन के लिए नरवा विकास योजना के तहत काफी तादाद में कार्य किए जा रहे हैं। यह कार्य वनांचल के लोगों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। इससे लोगों को सिंचाई की सुविधा सहजता से उपलब्ध होगी, वहीं जंगलों में वन्य प्राणियों के लिए भी पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि नदी-नालों में जहां फ्रेक्चर्स हैं वहां भू-जल संरक्षण के लिए डाईकवाल बनाने के कार्य को विशेष प्राथमिकता दे। इससे क्षेत्र में भू-जल का स्तर बढ़ेगा। उन्होंने इस दौरान राज्य में अच्छी गुणवत्ता के कोसा उत्पादन को ध्यान में रखते हुए शहतूत के प्लांटेंशन को भी बढ़ावा देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि शहतूत प्लांटेंशन को बढ़ावा देने के लिए इसे मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के प्रदर्शन कार्यक्रम के अंतर्गत शामिल किया जाए। इसी तरह टिश्यू कल्चर से अच्छी गुणवत्ता के बांस के पौधे तैयार कर उनके प्लांटेंशन वनों में लगाए जाएं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने समीक्षा के दौरान कहा कि पशुओं के लिए चारे की वर्षभर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वनों में होने वाले चारे से साईलेज तैयार करने का प्रशिक्षण महिला स्व-सहायता समूहों तथा ग्रामीणों को दिया जाए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के गौठानों में पशुओं के लिए हरे चारे की जरूरत है। साथ ही हरे चारे के साईलेज को बाजार में भी बेचा जा सकता है। इससे महिला समूहों की आय में भी वृद्धि होगी। इसके मद्देनजर विभाग द्वारा जंगलों में हरे चारे को सूखने के पहले कटाई कर साईलेज निर्माण किया जाए।